चिरजा करनीजी री

थल़वटराय भरोसो थारो, लेस आल़स न लावै।
आतुर भीर सुपातां आई, सिंघ हद बेग सजावै।।टेर
प्रिथमी जोर अनँत परवाड़ा, गढवाड़ा नित गावै।
देवै हरस दीहाड़ा देवी, जगत विघन मिट जावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………1
दुरजन घणा दाटिया दाता, थिर धर सुजन थपावै।
साखी जिण मुरधर आ सारी, बल़िहारी बतल़ावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………2
जात धरम नीं मानै जामण, चित मानवता चावै।
निरमल़ हियो देख जिण नर रो, याद किया झठ आवै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………3
थप मरजाद थाट थल़ थेटू, अपणां नैं अपणावै।
विमुखा बहै, सहै नित विपत्ति, सरणाई सरसावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………4
राखै समदीठ राव रु रंकां, भेद नहीं मन भावै।
संपा कोप ऊबर्यो शेखो, तल़ में अणद तिरावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………5
देख बाल़का आमण दूमण, बीसहथी विचल़ावै।
सिरपर हाथ, मेट नै संकट, हियै लगा हुलरावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………6
वसुधा विमल़ बिछायत वेकल़, छत्र बोरड़ियां छावै।
धोरड़ियां राजै धणियाणी, डाढाल़ी वड दावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………7
जूनी जठै जाल़ियां जोगण, हरियाल़ी हरसावै।
मिल़ जुथ सगत रमै मनमेल़ा, वीर भेल़ा विरदावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………8
गिरधरदान जीयाहर गढवी, उगती तूंज उपावै।
अणडग एक आसरो आयल, गुणी दासुड़ी गावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………9
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”