देशभक्ति

कांईआप बता सको ?
कै
देशभक्ति रो दीप
किण विचारधारा रै वायरै सूं प्रजल़ै
अर
अरूड़ चानणो देवै?
अर
किण विचारधारा रै वायरै रै
दोटां सूं बुझै परो।
कांई है आपरै कन्नै
देशभक्ति नै तोलण री ताकड़ी?
कै वाट!
म्हनै ई बतावजो वा हाट
जठै बिकती हुवै देशभक्ति
किणी पण भाव
किणी पण तोल
देखां तो सरी !
कै
दुकानां में
बिकण वाल़ी देशभक्ति
किसड़ी है?
सांगी है कै मांगी
किण ढंग में है?
है ! तो किण रंग री है?
कीकर ई करावजो
म्हारै ई जुगाड़
देशभक्ति नै देखण रो
परखण रो
सस्तो कै मांगो
आप तो जाणो ई हो
वा हाट
जठै देशभक्ति
सज्योड़ी हुवै
अर म्हैं
सीधो करूं इसारो
तोलण रो ।
पाव, अधसेर !
तो खरीद ई सकूं!
देशभक्ति
इतरी शक्ति तो म्हारै में ई है!
छतापण जे नीं बिकती हुवै
देशभक्ति !
तो किणी नै देशद्रोही कै
देशभक्त मानण रो बतावजो पैमानो?
कै
किसै धरम रा मानणिया
देशभक्ति रो दीप दीपावै
अर किसै धरम नै मानणिया बुझोवै?
म्हनै ई थोड़ी पड़ै जाण
देशभक्ति अर देशभक्तां नै
ओल़खण री।
आप तो पारखी हो
कर सको हो पारख
मिनख रै मूंडै रो
तौर देख’र
देशभक्ति री।
कै
गूदड़ां में दपटीज’
निरभै बेठे
निडरां री टीवी माथै
वैरी नै जीवतो
गिटण री दहाड़ सुण’र
अंदाजो लगा सको हो
कै
आंरै हाकां धाकां सूं
दुसमण तो कांई?
अविचल़ ऊभो
हिमाल़ो ई चल विचल़ हुय सकै!
अर बता सकै
ओछी विरकां
अर लंबै हेलां री
देशभक्ति दरसावण री
कै बतावण री तजबीज।
म्हनै ई करावजो
कठै ई
देशभक्ति रा दरसण।
कै
देशभक्ति रो दीप
किण विचारधारा रै वायरै सूं प्रजल़ै
अर
अरूड़ चानणो देवै?
अर
किण विचारधारा रै वायरै रै
दोटां सूं बुझै परो।
कांई है आपरै कन्नै
देशभक्ति नै तोलण री ताकड़ी?
कै वाट!
म्हनै ई बतावजो वा हाट
जठै बिकती हुवै देशभक्ति
किणी पण भाव
किणी पण तोल
देखां तो सरी !
कै
दुकानां में
बिकण वाल़ी देशभक्ति
किसड़ी है?
सांगी है कै मांगी
किण ढंग में है?
है ! तो किण रंग री है?
कीकर ई करावजो
म्हारै ई जुगाड़
देशभक्ति नै देखण रो
परखण रो
सस्तो कै मांगो
आप तो जाणो ई हो
वा हाट
जठै देशभक्ति
सज्योड़ी हुवै
अर म्हैं
सीधो करूं इसारो
तोलण रो ।
पाव, अधसेर !
तो खरीद ई सकूं!
देशभक्ति
इतरी शक्ति तो म्हारै में ई है!
छतापण जे नीं बिकती हुवै
देशभक्ति !
तो किणी नै देशद्रोही कै
देशभक्त मानण रो बतावजो पैमानो?
कै
किसै धरम रा मानणिया
देशभक्ति रो दीप दीपावै
अर किसै धरम नै मानणिया बुझोवै?
म्हनै ई थोड़ी पड़ै जाण
देशभक्ति अर देशभक्तां नै
ओल़खण री।
आप तो पारखी हो
कर सको हो पारख
मिनख रै मूंडै रो
तौर देख’र
देशभक्ति री।
कै
गूदड़ां में दपटीज’
निरभै बेठे
निडरां री टीवी माथै
वैरी नै जीवतो
गिटण री दहाड़ सुण’र
अंदाजो लगा सको हो
कै
आंरै हाकां धाकां सूं
दुसमण तो कांई?
अविचल़ ऊभो
हिमाल़ो ई चल विचल़ हुय सकै!
अर बता सकै
ओछी विरकां
अर लंबै हेलां री
देशभक्ति दरसावण री
कै बतावण री तजबीज।
म्हनै ई करावजो
कठै ई
देशभक्ति रा दरसण।
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी