देवी स्तुति


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जय जग जननी! आसुर हननी! विश्व विनोदिनी! अंबा!
जगत पालिनी देवि! दयालिनी!, ललिता! मां! भुजलंबा!!१

विपद विदारिणी! त्रिभुवन तारिणी! नेह निहारिणी! करणी!
पातक हरणी! अशरण शरणी! तारण भव जल तरणी!!२

सिंहारूढ! अगम अतिगूढा! सकल सुमंगल दानी!
वंदन बीसभुजी! वरदायिनि!, भैरवी! भवा! भवानी!!३

खंजन-नैन! सु कज्जल अंजन, भंजनि विपदा भारी!
अलख निरंजनि! कल्मष गंजनि!, रे तरूणी त्रिपुरारी!!४

परम प्रचंडी! दानव दंडिनि!, उर मणि मंडित माल़ा!
पाशांकुश शर चाप गदा जुत!, कर धारी करवाला!!५

धूमावती भैरवी त्रिपुरा, बगला! तारा, काली!
जय जय षोडसी छिन्न मस्तिका, मातंगी मतवाली!!६

कुंडल लोल कपोल कलोलिनि, बोलनि मृदु मुख बानी!
अनुचर नरपत पर अनुग्रह कर, नमूं जोरि जुग पानी!!७

~~©नरपत आसिया “वैतालिक”

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