डिंगल़

सुंदर मायड भासा डिंगल़।
जीवण री परिभासा डिंगल़।।१
बातां ख्यातां गीत वेलियाँ,
रामत कामड रासा डिंगल़।।२
सूर ,सती संतां री वाणी,
जिण री साँस उछासा डिंगल़।।३
घणी उडीकां अर ओल़ूमय,
रचिया बारहमासा डिंगल़।।४
नीर बिरहणी नयणां खल़कै,
भर्या भाव चौमासा डिंगल़।।५
रज्जब ,सुंदर ,पीपा, मीरा,
जांभा दादूदासा डिंगल़।।६
सूरजमल, ईसर बांका री,
बीरां रस री भासा डिंगल़।।७
चारण ,बामण ,जाट, बाणियाँ,
सब जाती री भासा डिंगल़।।८
जैपर ,बीकाणा, जोधाणा,
जैसाणा री भासा डिंगल़।।९
आवड ,खोडल,करनल मां रा,
परवाडा री भासा डिंगल़।।१०
दुरगा,पातल़,दुरसा,पीथल़,
धाय पना, भामासा डिंगल़।।११
सेखावाटी, ढुंढाडी अर,
मारवाड री भासा डिंगल़।।१२
भाव प्रणव लय छंदों वाल़ो,
इन्द्र धनुस जल़रासा डिंगल़।।१३
हिचकी, धूमर मूमल ,झेडर,
लोकगीत मुदरा सा डिंगल़।।१४
ओच्छब, आँसूं,सपनां,यादां,
आसा वल़ै निरासा डिंगल़।।१५
तार छेडती मन तंत्री रा,
अंतस करै उजासा डिंगल़।।१६
नरपत नित रसपान करै पण,
मिटै न कविता प्यासा डिंगल़।।१७

~~नरपत आवडदान आसिया “वैतालिक”

Loading

3 comments

Leave a Reply

Your email address will not be published.