गज़लें – राजेश विद्रोही(राजूदान जी खिडिया)

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ये जानी पहचानी ग़ज़लें।
ख़ालिस हिन्दुस्तानी ग़ज़लें।।
कान्हा की मुरली में खोयी।
मीरा सी दीवानी ग़ज़लें।।
नानक सूर कबीरा गाये।
भाव भरी रूहानी ग़ज़लें।।
क़ाफ़िर का फ़तवा पाकर भी।
रुकी नहीं रसखानी ग़ज़लें।।
सोंधी खुश्बू से महकेंगी।
ओढ़े चूनर धानी ग़ज़लें।।
भारत की अनमोल विरासत।
ग़ालिब की लासानी ग़ज़लें।।

~~राजेश विद्रोही(राजूदान जी खिडिया)

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