गीत प्रहास साणौर – राजबाईसा समना रौ

रटूं रसण अठ जाम शुभनाम तव राजला
कृपाळू दास रा काम कीजे।
विमळ सुखधाम मढ समन्ना विराजत
दरस वरियांम अभिराम दीजे।।01।।
विनायक रखाजे विमळ मति वीसहथ
सहायक रहीजे सुराराणी।
नलायक हूंत नंह जुड़ाजे नेहपण
बिना हक बुलाजे नांह बाणी।।02।।
झपट मां कपट नैं काटजे झटाझट
फटाफट मेटजे सकळ फंदा।
बटाबट करंतै काळ नैं बाळजे
गाळजे सटासट भाव गंदा।।03।।
बगस वरदान सतबोध रो बीदगां
समंद प्रतिशोध रो मात सोखो।
काटज्यो कबाड़ो कुजरबो क्रोध रो
अटल अवरोध रो पंथ ओखो।।04।।
पात कुळ लाज मरजाद नित पाळजे
चंडिका भाळजे चरण चेटा।
काळजे मांयली पीड़ लख कृपाळू
भीड़ पुळ टाळजे दुष्ट भेटा।।05।।
विश्व विखियात अखियात वरदायनी
तखत साक्षात हिंदवाण तापो।
भगत रै माथ श्रीहाथ रख भगवती
आथ औकात अर काथ आपो।।06।।
नारियां हिंद री बचा नवरोज सूं
बणी उण बारियां सिंघ बाई।
सकळ दुखियारियां तणो बण सहारो
आँख जळधारियां देख आई।।07।।
लोक व्यवहार री सकव नैं लकब दे
तकव घरबार नैं संप तेड़ी।
अकल आचार में पात रह अग्रणी
न्यात रुजगार रै रहे नेड़ी।।08।।
दास गजराज महाराज रा दरस कर
प्रगट अभिलास सुखरास पाई।
चवां जसवास रो थान चरड़ाउवो
बीदगां आसरो राजबाई।।09।।
~~डाॅ.गजादान चारण “शक्तिसुत”