गीत सोहणो

कंत सूं लुका राखिया कामण
नोट पांचसौ पांच नवा।
मोदी करी मसकरी मांटी।
हिवविध भूंडा हाल हुवा।।1
अहर बितायो आमण-दूमण
नैणां रातां नींद नहीं।
देवा डंड किसोड़ो दीधो?
कल़पी बातां ऐह कही।।2
चोखी चूर रोटियां चाढी
देख आथणी भल़ै दही।
तिण कज साम धोकियो तोनै,
म्हारा बिगड़्या काज मही।।3
काती में नावण नह कीनो,
सींयां मरती संक रईः।
मंदिर दिस कीनो नह मूंडो,
गोविंद दरसणां नाय गई।।4
भाख फाटां उठगी भटकारै
लगतो गात झकोल़ लियो।
माधव रै दरसणां दे मोरो
कोडां बैंक पयाण कियो।।5
लाज त्याग लायण में लागी,
लायण रुपिया लावण नै।
पड़ी नहीं हाथ में पाई,
झगड़ी आवण जावण नै।।6
नाणो देख बैंक में निठियो,
लंबी भल़ै कतार लगी।
खाय नीसासो घर दिस खाती
वनिता आंती आय वगी।।7
पाड़ोसण पोटाय पईसा
लोट पांचू ई झटक लिया।
ऊपर मन अहसान अणूंतो
डरती सारा सूंप दिया।।8
कीड़ी सँच, झखलरिया खावै
पापी रो धन प्रल़ै पेख।
मोदी साच मुलक में कीनी,
आद कहावत साची एक।।9
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”