गीत तेमड़ाराय रो

।।गीत-प्रहास साणोर।।
करां झूल़ तिरशूल़ ले चढै अब केहरी,
ऐहरी बगत में भीर आजै।
दूथियां सरब सुख सिमरियां देहरी,
लालधज मेहरी साथ लाजै।।1
भगत रा देख नित मनां रा भावड़ा,
तावड़ा, छांह कर तुंही टाल़ै।
मदत तैं आजलग करी नित मावड़ा,
पेख मग आवड़ा बो ई पाल़ै।।2
बीसहथ दुलारै सीसहथ बाल़का,
भाल़का आपरां रहै भीरी।
चावकर नेस में थाट कर चाल़का,
सँकट प्रजाल़का रहै सीरी।।3
कापिया किताई आप कर केवियां,
लेवियां लाखनव सिंघ लारै।
डोकरी सोहणी रूप संग देवियां
सेवियां सेवगां खड़ी सारै।।4
नवैदिन राजणी चारणां नेस में,
भेस में सुवासणी टाल़ भावी।
हेतवां सहायक बणै हरमेस में
चहुंवल देस में बात चावी।।5
मिंदरां गाजकर ओपती महिपर,
साजकर दिया लख ताज साखै।
उवै ई प्रवाड़ा कल़ू में आजकर,
राज ढक लोहड़ी लाज राखै।।6
कितां नैं दियां वरदान तैं कृपाल़ी,
लोहड़ी थान री ओट लीधी।
पामियो मान जिण पाण बल़ पातवां
कान कर अरज नैं महर कीधी।।7
दासोड़ी दूद पर,भोप पर भदोरै,
मेह पर झिणकली महर माता।
मूंजासर नगै पर, बोड़ ज्यूं मावड़ी,
दयाकर तूठणी प्रतख दाता।।8
नमै कवि गीधियो नेहाल़ी निजरकर,
सधरकर दास री आस सामी।
अहर- निस दासोड़ी विराजै आवड़ा,
जगत रा कहर नैं मेट जामी।।9
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”