गीत वरसाल़ै रो प्रहास साणोर

उरड़ियो आज उतराध सूं ऐरावतपति
खरै मन उमड़ियो बहै खातो।
गहरमन नाज अगराजतो घुमड़ियो
मुरड़ियो काल़ रो देव माथो।।1
उमँग असमाण में वादल़ा आहूड़ै
मोदधर धाहूड़ै होय माता।
निपट चढ वाद में मलफिया नाहूड़ै
तीख में बाहूड़ै होय ताता।।2
झड़ी गगनाण सूं लगाई जबरबल़
अपरबल़ पूरवा थल़ी आसा।
सबरबल़ तूठवा आवियो सुरांपत
तोड़वा खबरबल़ सकल़ तासा।।3
पल़ापल़ वीजल़ी आभ में पल़ाका
झल़ाझल़ झबूका भरै जोरां।
खल़ाखल़ नाल़ परनाल़ हद खंचिया
धीबियो वल़ावल़ नीर धोरां।।4
तोड़ियो गुमर हद काल़ रो तटाकै
भटाकै रेड़ियो नीर भारी।
घटाकै जोरबल़ पुरंदर गूंजियो
सटाकै हरस दुनियांण सारी।।5
नाचिया मोर मन निजर भर नेहरी
मेहरी घोर सूं कल़ा मंडै।
गाविया गीत हर देहरी गेहरी
ऐहरी विधी सूं भोर अंडै।।6
मुरधरा दरस मघवान हद मुल़कियो,
अमीरस वरस कर बखत आछी।
जीव नै जंत घर हरस ओ जोयलो,
रसा पर सरसमन कल़ा राची।।7
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”