घड़ा लीवी पण जड़सी कुण

जीवण री अेक अेक बात रो सावळसर नितार निकाळ’र सार बतावणियां आपणां बडेरा तगड़ा बातपोस हुया करता। सबदां रो इयांकलो सरड़ाटो देवता कै सोचणियो गतागम में फंस्यो रैवतो। लोकोक्तियां, मुहावरा अर कैबतां कोई सोच समझ’र करेड़ी रचनावां कोनी। अै तो उटीपै ई निकळेड़ा इयांकला झड़ाका है जका आपरी वक्रता अर अर्थगांभीर्यता रै कारण लोक रै मुंढै चढग्या। बात बात में वांरी मिसाल दीरीजण लागगी। इयांकली ई अेक कैबत चालै कै “घड़ा तो ली पण जड़सी कुण ?”।
अेकर अेक गाम में कुत्तां री भरमार होगी। गळी-गळी में गंडकां रा टोळा फिरै। चावै जिकै घर में मौको लागतां ई गंडकां री डार आ बड़ै अर लाधै ज्यांनैं ई चट कर ज्यावै। लोगां आप आपरै घरां रै किंवाड़ लगा लिया। अेक दो आळसी हा बां ई दौरा-सौरा किंवाड़िया लगा’र गंडकां सूं गैल छुडावण रो जतन कर्यो। सगळै घरां रै किंवाड़ देखतां ई कुत्तां मिटिंग करी अर फैसलो लियो कै भाई अबै इण गाम में आपणी पार कोनी पड़ै। कठैई दूजी जाग्यां देखां। इयां सोच’र सगळा कुत्ता रेवाड़ी रो गेलो लियो। रवाना हूती टेम अेक काणियो कुत्तो जोर सूं बोक्यो अर सगळा गड़कड़ां नैं रोक्या। थोड़ी ताळ ऊंचो-नीचो होय बण काणियै कुत्तै सूण बिचारतै कैयो कै भायां आपांनैं कठै ई जावण री जरूरत कोनी। क्यूंकै किवांड़्यां घड़वा तो लीवी पण इण गाम रा लोग इत्ता बेसूरा अर आळसी है कै आंरै अै किंवाड़िया खुला ई पड़्या रैसी। आ सुण सगळा गंडक पाछा गाम में आयग्या अर बियां ई ऊधम होतो रयो। कुत्तां री इण बात नैं मौकां टोकां कैबत रूप में आज ई लोग घणा काम में लेवै-
फूड़ मिनख घर घड़ी किंवाड़ी
कुत्ता चाल्या सब रेवाड़ी
काण्यैं कुत्तै बिचार्यो सूण
घड़ा तो लीवी पण जड़सी कूण ?
आपां रै सामी इयांकली परिस्थितियां रोज आवै। सार्वजनिक उपयोग री बात हुवो का पछै व्यक्तिगत उपयोग री। सब जाग्यां आपरै किंवाड़्यां खुली ई रवै। सरकारी योजनावां री कितरी ई किंवाड़ियां घड़ीजै पण वांनै सावळसर जड़ण री मैणत तो आपां नैं ई करणी पड़सी। सड़क बणगी, नाळी बणगी। अबै उणरी साफ-सफाई तो आपां नैं ई करणी पड़सी। कचरापात्र तो नगरपालिका रखवा सकै पण कचरो उण पात्र में लेजाय न्हाखण रो श्रम तो आपांनैं ई करणो पड़सी। योजनावां तो सरकार चलावै पण वांरो लाभ लेवण सारू आवेदन तो आपांनैं ई करणो पड़ै। इयांकली अेक नहीं हजार बातां हो सकै। मोबाईल रै उपयोग सारू मोकळी जानकारियां अर जतन बतावणियां री भरमार है पण उण जाणकारी नै अमल करणिया कठै ? बैंक राजीना चेतावणी दे दे थाकग्यो पण आपां एटीएम रै पिनकोड वाळी किंवाड़ी कद जड़ां। चिटफंड कंपनियां री चीटिंग रोकण सारू चेतावणी री कित्ती किंवाडियां घड़ीजी पण च्यारां कानी चौगान खुला है। विज्ञानं रै इण युग में लोग स्वर्ग री सीटां बुक करावै अर पछै सरकार मुर्दाबाद रा नारा लगावै। बताओ सरकार बापड़ी कठै कठै किंवाड़ जड़ती फिरै। आओ कोशिश करां कै आपां सारू कोई इण कैबत नैं काम में नीं लेवै। जय राजस्थान जय राजस्थानी।
~~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”