घनश्याम सखी!मन भावणा है

दोहा
आज मँड़ी सावण झड़ी,बडी पडी बरसात,
नड़ी नड़ी नाची सखी,खडी खडी हरखात।।
घनघोर घटा नभ में गरजै,
धुनि जाण नगाड मृदंग बजै।
कलशोर करै पिक, मोर करै नृत, ढेलडियां शिणगार सजै।
डक डौ डक दादुर झिंगुर जाणक, झांझ मँजीर बजावणा है।
अनुराग सुराग बिहाग समा दिन पावस रा रल़ियावणा है।
घनश्याम सखी!मन भावणा है।
घनश्याम घणा मन भावणा है।।१
हरिया हरिया सब डुंगरिया,
भरिया नद ताल सरोवरिया।
वल़गी तरु -रे तन वेलडियां जल़ बूंद लसै मणि री लडियां।
सज साज सिंगार करै मनुहार ज्यूं कामण कंथ रिझावणा है।
अनुराग सुराग बिहाग समा दिन पावस रा रल़ियावणा है।
घनश्याम सखी!मन भावणा है।
घनश्याम घणा मन भावणा है।।२
सतरंग धनंख नें सँग लियां,
दल़ बादल़ आय रह्या चडिया।
दमकै दुति दामण जेम चलै शर-वार महा भड आथडिया।
तिरछी बरछी तन बूंद पडै, झड मेह ज्यूं खाग चलावणा है।
अनुराग सुराग बिहाग समा, दिन पावस रा रल़ियावणा है।
घनश्याम सखी!मन भावणा है।
घनश्याम घणा मन भावणा है।।३
हरियो हरियो तन चीर धरे,
वसुधा नवरूप बणाव करे।
तन अंतर फूल लगाय दियो, बहकी महकी तिणसूं विचरे।
हिंगल़ू रँग जाणक होठ अलि! शुभ लाल ममोल लुभावणा है।
अनुराग सुराग बिहाग समा दिन पावस रा रल़ियावणा है।
घनश्याम सखी!मन भावणा है।
घनश्याम घणा मन भावणा है।।४
रुत सावण री!मन भावण री,
अनुराग ह्रदे उपजावण री।
हिव चातक रे हरखावण री, सजनी!रंग राग मनावण री।
मन मोर बणै थइ थाट करै, सतरंगिय पंख सुहावणा है।
अनुराग सुराग बिहाग समा दिन पावस रा रल़ियावणा है।
घनश्याम सखी!मन भावणा है।
घनश्याम घणा मन भावणा है।।५
~~©वैतालिक
