घर कामिनी काग उडावती है
स्वर्गीय कवि शुभकरण सिंह जी उज्जवल (ग्राम भारोडी) पुलिस सेवा में थे। भीलवाडा में पोस्टिंग के वक्त वहाँ के एक सख्त एस पी साहब ने छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया। शुभकरण जी को घर जाना बहुत जरूरी था। उन्हें कहीं से पता चला कि एस पी साहब बड़े साहित्य रसिक हैं, तो उन्होंने साहित्यिक शैली में एस पी साहब तक छुट्टी की अर्जी पहुँचाई।
एस पी साहब ने तत्काल छुट्टी सेंक्शन कर दी। वह कविता आप सभी की नजर…
कबहु मिल में झगडो प्रकट्यो, कबहु हडताल सतावती है।
कबहु कर में तफ्तीश अति उलझी-उलझी उलझावती है।
महिना दो हो गये गाँव गये, घर याद मुझे तरसावती है।
सरकार विचार विदा कर दो, घर कामिनी काग उडावती है।
~~ हिम्मत सिंह जी उज्जवल ग्राम भारोड़ी द्वारा प्रेषित