गीत सोहणो
।।गीत सोहणो।।
ओ सच की देख जमानो आयो, जो मिनखां तो मून झली।
सून मिल़ी चवड़ै सिटल़ां नै, भू विटल़ां री बात भली।।१
मिनखाचार रखै सो मूरख, गेडछाप अह बजै गुणी।
पितलज जिकै पूजीजै पेखो, सतवाद्यां री काट सुणी।।२
बहुमत हुवो बापड़ो बेखो, बल़ बाहू नै लोग वदै।
बुध बल़ री बात करै बावल़िया, कावल़िया लठ गिणै कदै।।३
पद री जोवो पिपासा जागी, नैणां टुकियक लाज नही।
सैणां तणी मरजादा सारी, सबल़ा मेटै देख सही।।४
मोटा बजण शरम नै मसल़ै, कवल़ां लठ सूं बात करै।
गंग रो नीर चौड़ै गिदल़ातां, देखो पापी नको डरै।।५
परहित कियां साजसी पेखो, निज हित टाल़र काज नहीं।
मन सूं बहै बिगाड़ै मारग, गुण छंड ओगण बाण गही।।६
झटकण झंडो खस्सैजोयलो, धठ भगती सूं नाय धपै।
सारा काम होवै सगती सूं, इसड़ो ऐ संदेश अपै।।७
संगठण मांय कथ सगती री, पढी पोथियां गल्ल परी।
चतुरां फूट दीखती चौड़ै, खबरां दुनियां मांय खरी।।८
पग पग राड़ मूंछां री पड़गी, साच कूड़ लख एक सरै।
झग झग अंतस देखने झाल़ां, डग भरता इम सैण डरै।।९
गैलो नाय गाम नै गिणवै, गांम गैलै नै नाय गिणै।
गिरधर कहै बताजो गुणियां, बातां आछी केम बणै।।१०
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी