गौ भक्त मा पेमां
बीकानेर रै आथूणै कड़खै रो छे’लो गांव है दासोड़ी। इण गांव रै आथूणै अर उतरादै पासै जोधपुर रो अंतिम गांव है मिठड़ियो। मिठड़ियै री लागती कांकड़ माथै आयोड़ा दासोड़ी रा खेत करनेत बाजै। लगै टगै वि.सं. १८०० रे आसै पासै दासोड़ी मे पेमां माजी होया। दासोड़ी उणां रो ससुराल हो। पीहर किण जागा हो ओ तो ठाह नी है पण बै जात रा बीठवण (बीठू) हा। आ बात म्हारा जीसा (दादोसा) गणेशदानजी रतनू कैया करता हा। पेमा माजी रे गायां घणी होती सो बै आपरै खेत करनेत ढाणी विराजता।
उण दिनां मिठड़ियै रो ठाकुर कल्लो पातावत हो। ठाकुर री कुदीठ माजी री गायां माथै ही पण माजी री धाक अर वचनसिद्धि रे खातर उण री कदै ई माजी री गायां ले जावण री हिम्मत नीं पड़ी।
पाखती री कांकड होवण खातर गायां एक दूजै रे झूंसरै मे चर बोकरती। जोग सूं एक दिन पेमां माजी री एक लवारकी ठाकुर री गायां मे बुई गई। ग्वाल़िया लारै गया अर आपरी बाछड़ी पाछी लावण री खेचल करी पण ठाकुर उण नै दुत्कार र काढ दिया। उणां आय माजी नै पूरी बात बताई। सुणतां माजी नै रीस आयगी। एक राजपूत चारणां री हांचल़ चूंगती लवारकी राखै आ अजोगती बात कीकर हो सकै?
माजी आपरी बैली जुपाय मिठड़ियै गया। जाय ठाकुर नै कैयो कै “म्हारी भोल़ी लवारकी आपरी गायां भेल़ी आयगी सो दिरावो।”
ठाकुर नटग्यो। कैयो कै “इणरै अठै कोई टोगड़की नी आई है। कूड़ा ढफल करण री जरूरत नी है चारणां रो कीड़ो कुण राखै।” माजी नै कावल़िया बकियो।
पेमां मा कैयो कै “म्हारी टोगड़ी अठै खटै नी आप दे दिरावो” पण ठाकुर माथै कोई असर नी होयो। माजी कैयो कै “म्हारी बाछड़ी अठै ईज है वा दे दे क्यूं कै म्हारी टोगड़ी अठै मावै नी”।
ठाकुर कैयो कै “अठै है तो ले ले म्हनै कांई कैवे”।
माजी रावल़ै सूं बारै निकल़ र उण लवारकी नै संबोधन कर हेलो कियो तो उणी बगत करू मांय सूं टोगड़की डांय री आवाज पाछी सुणीजी। माजी समझग्या कै लवारकी इणी करू (मोटो खाडो) मे है उणां आपरै साथलां नै कैयो कै देखो इण करूं मे लवारकी है। साथलां जयर जोयो तो टोगडी उण करू मे खुरड़ा खोतरती मर्योड़ी पड़ी ही। जितै माजी आयग्या। उणां टोगड़ी री दुर्गति देखी तो उणां रै अंतस मे क्रोध री झाल़ां उपड़गी। उणां साथलां नै परिया कर र टोगड़की आपरै हाथ सूं काढी अर पाला ई पाछा ढाणी कानी रवाना होग्या।
उणां री ढाणी अर मिठड़ियै रे बिचाल़ै मिठड़ियै री मोटी तल़ाई है। तल़ाई री पाल़ माथै पूगर माजी रुकिया अर लवारकी नै गोदी मे लेय ठाकुर नै शाप देतां कैयो तूं कोढियो होयर मरेला, थारी निरवंश जावेली अर जिको ई थारै पाट बैठेलो उणरो ई वंश नी चालेलो। थारै रावलै मे कदै ई च्यार सुहागणै नी होवेला। इति कैय माजी जोग साधना सू टोगड़की सहित आपरो शरीर अग्नि नै समर्पित कर दियो।
इतिहास ई नी वर्तमान ई साखी है कै पेमां मा रा वचन आज उण घराणै रे सारू अभिशाप है। मिठड़ियै री तल़ाई री आथूणी पाल़ माथै माजी री मूर्ति उण अत्याचारी अध्याय री साखीधर है। आयै साल चौमासै रे आगमन सूं पैला इण मूर्ति माथै गांव वाल़ा नवी झूंपड़ी बणावै। उण मे रावल़े रो एक सदस्य जरूर होवै। आप नै आ जाणर इजरज होवेला कै जे झूंपड़ी नी बणावै तो मिठड़ियै मे उण साल मेह नी बरसै। आ परंपरा आज ई चालू है।
म्है ९०-९१ मे बी ए फाईनल रो विद्यार्थी हो जिण दिनां इण बात नै सुणर एक भुजंगी छंद बणायो। अबार आदरणीय नाहरसिंहजी जसोल “चारणों के तागै ओर धागै” पर एक किताब लिख रैया है उक्त जाणकारी उणां नै प्रेषित कर रैयो हूं तो सोचियो कै आप विद्वानां नै ई मेल दूं ताकि कोई कमी बेसी होवै तो सुधार या संशोधन कर दूं। सुझाव सादर आमंत्रित है। आपनै छंद मेलणो समीचीन रैसी
पेमां प्रशंसा
दूहा
चारण धरम चितारणी, कारण बछियै काज
बीसहथी बण बाहरू, ली पेमां रख लाज १
पात धरम हद पाल़णी, इल़ बात अभंग
गात कलै रो गाल़णी, रंग मा पेमां रँग २
लियो कलै रख ल्वारियो, छत्री पण हद छंड
कियो जमर जिण कारणै, मही पात धर्म मंड ३
मिठड़ियै ठाकर मुणां, पातावत कलियाण
जिण ऊपर कोपी जबर, पेमां धिन रख पाण ४
सोरठो
मिठड़ियै मड़ियोह, कांकड़ लग अड़ियो कलो
सांप्रतेक सड़ियोह, विरचै चारण बीसहथ ५
दूहो
विमल़ कथा जग मे बँचै, आई रचै उछरंग
सचै प्रवाड़ा सांभल़्या, भाणव रचै भुजंग ६
छंद भुजंगी
सुणां पेमला मात पातांज सामी
जपूं आपरो जाप हूं अंतर्जामी
दयाल़ी मुझां कायबां वैण दीजै
लजां राख आई तुझां ओट लीजै १
दिपै देव दासुड़िय देख दाता
मयाल़ी हिको सांसणां माम माता
पुणूं धर्म पे हालणी धेन पाल़ै
रजा राख मैयाज रैया रुखाल़ै २
बठै खेत वो एक क्रनेत बाजै
रढाल़ी उठै गोल़ ले आप राजै
थयो धेनवां थाट निराट थारो
चरै बाछड़ा कूदता लील चारो ३
नमो डोकरी जेथ ढाणी निवासै
पुणां मीठड़ो गांव वो सींव पासै
सुणां ओथ रो भोम कल्लोज सामी
हिवां चोर वो ढोर पातो हरामी ४
बही मीठड़ाधीस री गाय बो’ल़ी
भलां बाछड़ी लेयगी साथ भोल़ी
इमां आयनै टाबरां बात आखी
रही ना अमीणां भुजां पाण राखी ५
जदै मावड़ी गाडियां जोत लीधी
सथै संग ले वा’र बैहीज सीधी
धरा माम नां राखणी धाड़धाड़ा
मुणां ठाकरां आविया दीह माड़ा ६
मुदै आखियो ठाकरां दीह माई
अठै बाछड़ी एक अम्माज आई
करूं साद धण्यां इमां कान कीजै
दखूं दूथियां केरड़ो हेर दीजै ७
नकूं आपरै ऐम ओ भार न्हाल़ो
भलां पातवां प्रीत सूं मींट भाल़ो
छतो रावल़ो व्रिद है नाय छानूं
मिल़ै बाछड़ी मूझ ऐसान मानूं ८
कलै सांभल़ी बात यूं क्रोध कीधो
दखां मूढ पातै बुरो जाब दीधो
किसी बाछड़ी तूझरी बात कैड़ी
अल़ी ऊचरै आयनै ऐथ ऐड़ी ९
भलां चारणी वैण क्यूं कूड़ भाखै
रँकां केरड़ो रावल़ै कूण राखै
अठै आकरां क्रोध मे चाल आई
दखां ठाकरां नै घरां मां डराई १०
तवां चाकरां चारणी नही तोरा
इयै आखरां धीजवै पेख औरां
कलै ताकरां मात सूं ऐम कीनी
लगै हाथ बुल्लाय वा मोत लीनी ११
हुवो मीठड़ाधीस धर्म हीनो
कलै कांकड़ां ऊपरै वाद कीनो
छत्री नीत नूं रीत नूं ऐम छाडै
मड़ै राखली टोगड़ी दूठ माडै १२
जदै मात वो जाणियो दूठ झूठो
छतो डोकरी धीर गंभीर छूटो
बणी बाघणी वैण ऐ जैण बावै
मही तूझरी ल्वारकी नाय मावै १३
नमो रीस ज्यूं ही फणाधीस रोपै
कराल़ी जिमां केरड़ै काज कोपै
अंबा दूठ कल्लैनांय श्राप आपी
पुणां पाप ई कारणै कोढ पापी १४
कृपाल़ी जदै बाछ नै साद कीनो
दखां भोल़की पूगतो जाब दीनो
जदै मावड़ी जैण री पीड़ जाणी
पड़्यो भूल सूं दूठ रे हाथ प्राणी १५
उणी वेर अंबा करू जाय ईख्यो
प्रिथी ल्वारकी गात निर्जीव पेख्यो
उणी वेर हाथां ज माता उठाड़ी
लगाड़ी उणीनैज अंकां लडाड़ी १६
लंब हाथ ऊमा तणो पंथ लीनो
कराल़ी खपा केवियां नाम कीनो
चवां चारणां नीर तैंहीज चढायो
वल़ै जात रो माण तैंही बढायो १७
धरा धारणी भीर तुंही धजाल़ी
वसू थापिया व्रिद तैंही व्रिदाल़ी
रहै सारणां काज तुंही रुखाल़ी
सको सायल़ां सांभल़ै आ उंताल़ी १८
भलां भाणवां रीत नूं भोम राखी
सको आज बातांज अदीत साखी
जुगां मांय नही थारो जस्स जावै
पढै दास प्रगाल़ैय मान पावै १९
थयो सांसणां आसरो एक थारो
नमो सेवियां तास सारा निवारो
उजाल़ै अँधारै रहै भीर आई
नमो भूतड़ा प्रेतड़ा तूं भगाई २०
कितां काटिया जात रा तै़ज केवी
दिया शूल़ रे मूल़ रे मांय देवी
पुनी केतला शूल री फाल़ पोया
खल़ां रा कितांरां तैंहि वंश खोया २१
रढाल़ी नमो पेमला ऐम रूठी
जिकी बात ना जाणज्यो लेस झूठी
कलै रां पछत्ताय नै सीस कूट्यो
पुणां पीढियां पीढियां पाप फूट्यो २२
अखां पेमला तूझ री आण आई
वसुध्धा करै बात थारी बडाई
गुणी धार वीसास रू तूझ गावै
उवै सांभ वैणा अध्धै हेल आवै २३
चढै चारणी बेग तोनै चितारां
हमे एक आधार धणी हमारां
रहे पोतरां ऊपरै मात राजी
बणी राखजै रेणवां हाथ बाजी २४
तुंही मालणा मोगला गेल माई
तुंही खूबड़ी रूप व्है दैत खाई
तुंही देवला राजला चंदू देमां
जुई सैणला बांकला शील जोमां २५
दिपै थान दासोड़िय आप देवी
सजै सेवगां सायता साद सेवी
जसां बोल वो गीधियो दास जापै
अभैदान वा पेमला आय आपै २६
छप्पय
पेमलदे इल़ प्रगट
प्रघल़ मरजादा पाल़ी
ससियल़ सूरज साख
वल़ोवल़ जात उजाल़ी
वसुधा कीरत बात
खल़ां दल़ शूल़ खपाणी
धेना वाहर धाय
धरा ऊपर धणियाणी
मेटणी कलो मरजाद कज
नवलख साथै नीसरी
गीधियो सरण तोरी गहै
बीसहथी मत वीसरी