गोगा गुणमाळा

Gogajiखेत – खेत खेजड़ी अर गांव – गांव गोगो रो कैताणो चावो। मुंशी देवीप्रसाद इणां रो समै 1070वि. मानियो है। आई बात इतिहास वेता डाॅ दशरथ शर्मा, चंद्रदान चारण आद विद्वानां मानी हैं। महमूद गजनवी सूं सतलज नदी री रक्षा करतां वीरगति वरणियै गोगै रै साथै पैतालीस बेटा, सितर भतीजा, पांच जंवाई, गुणचाळीस बीजा भाई, बीजी जात रै कितैई राजपूतां देश हितार्थ वीरगति वरी। महावीर गोगा ददरेवा रा शासक हा। इणां री मा नाम वाछल/बाछल अर पिता रो नाम जेवर हो।

गोगो पूरै भारत रो जननायक है। लगैटगै सगळै उत्तर भारत में इणी खातिर ओ महाभड़ लोकदेवता रै रूप में संमपूंजित है। लोकदेवता गोगै नै लेयर केई प्रवाद प्रचलित है। म्है म्हारी इण छोटीसीक रचना सूं शब्दाजळी भेंट कर रैयो हूं।

।।दूहा।।
चढियो गजनी सूं चठठ, मुहमदियो मछराळ।
हिंद पूरी नै हाण दे, भड़ बीकणिया भाळ।।1
घाव कियो गुजरात रै, प॔चनद चूंथी पूर।
भिड़ कितां कंध भांजिया, हेर लियो सब हूर।।2
सैंभरियां कानै सुणी, बीती धर री बात।
गोगो अड़ियो गाढ सूं, जम री लेय जमात।।3
अड़ियो नहको अडर नर, दळ गजनी रा देख।
मछरीकां उण पुळ मुदै, टणकी राखी टेक।।4
छावो जेवर रो छतों, चावो वो चहुवाण
जोर गोगो घड़ जूझियो, म॔डण भारत माण।।5

।।छंद रेंणकी।।
आयो दळ उरड़ गजन रो इळ पर, मुरड़ दूठ हिंदवाण मही।
जबरा जोधार राखिया झुरड़ै, सबळ कितां नै दुरड़ सही।
कितरां नै मुरड़ खायग्यो किलमो, चुरड़ पीयग्यो रगत चठै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।1

माची चहुंकूंट कूट हद माची, लूटपाट घर करी लखां।
फट फूट फिटळ उण उठा फायदो, थाट विडार्या पाण थकां।
हिंद री हाण काण बिन कीनी, भांज बिठाई जवन भठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।2

घाई गुजरात संपूंरण घावां, देव सोम सूं नाय डर्यो।
मद में मचकूर होय उण मूरख, कटक लेय नै अटक कर्यो।
भांज्यो उण आय म॔दर नै भटकै, इक खटकै बिन बीह उठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।3

तण तण कर सोर जोर सूं तणियो, कण कण उण प॔जाब करी।
जण जण हहकार मार सूं जिणदिन, डग डग रैयत सपन डरी।
पग पग अनियाय धापनै पामर, तरवारां घण घाण तठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।4

वीरत री वाट खाग बळ बैतो, चहुवाणां धर माथ चड़्यो।
कीरत रो बींद जेवर रो क॔वरो, उण पुळ गोगो आय अड़्यो।
गौरव रो कोट गंजनियां ग॔जण, वहा भंजण अरियाण बठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।5

छिड़ियो विकराळ छत्रधर छोगो, जग जोगो कुळभाण जयो।
चावो चहुवाण गाढ मे गोगो, भाळ रूठ भुजंगाण भयो।
डरिया मन दूठ सांभ रण डाकर, हाकल सूं तनहार हठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।6

ददरेवो अड़्यो महारण दाटक, काटक अरियां माथ करै।
झूड़ै दळ गजन तणा बळ झाटक, ताटक वारां मेह तरै
बहगी रगताण धार नद वळ वळ, घड़ी मेछां घमसाण घटै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।7

तन रो नह सोच कियो तिल मातर, खातर भारत जाय खस्यो।
खड़ियो अस खीझ झाल कर खागां, रीझ वीर रणताळ रस्यो।
जेवर रै सुतन मंडी झड़ चोटां फड़, जवनां उदराण फटै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।8

मुहमद रो मछर खंडियो मांटी, देयर आंटी पटक दियो
करवाळां झाट काढिया कांटा, कज सैंभरियै अमर कियो।
जासी नह बात समै भलै जासी, अवनी गासी सुजस अठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।9

पड़िया रण पूत भाई रण पड़िया, राजपूत रण तूझ रया।
पड़िया दामाद गाढ सूं पेखो, बीह धार नह हार बया।
वाछल रा लाल वीरगत पामी, जूझ हिंद रै काज जठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।10

पूजै प्रथमाद घरोघर परगळ, थान खेजड़ी मान थपै।
हिंदू किलमाण राख द्रढ हिरदै, आण आपरी नह उथपै।
मानै सरब जात तनै लघु मोटा, मेटै ज्यारां करम मठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।11

मांटीपो धार मात भू मंडण, सरब कबीलो साथ सही।
रहियो रणखेत हेत सूं रांघड़, कीरत हित चित गीध कहीं।
सुणजै चहुवाण सनातन साचै, बाचै जिणरै आवाज बठै।
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।12

।।कवत्त।।
मंडण भारत माण, आव इळ गोग उबारी।
मछरीकां कर मछर, धरा कज मरबा धारी।
अड़िया रण मे आय, सबळ दळ गोगै साथै।
मुहमद सूं मनमोट, तणी तरवारां तातै।
तिल मात सोच काया तणो, कीरत लाडां नह कियो।
गीधियो कहै गोगै गुणी, दान धरा तन रो दियो।।

~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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