गूदड़िया छोड अबै तो गैला

।।गीत-वेलियो।।
गूदड़िया छोड अबै तो गैला,
लोयण धार जरा सी लाज।
ऊगो अरक ऊंग तज आल़स,
कर रै चारण घर रो काज।।१
पूरी रात गमाई पीतां,
चूस्या गूडल़ घणेरै चाव।
पड़ियो मंझ रातरो प्रीतम,
दिनकर अब तो दियो दिठाव।।२
सखा साथ कीधा घण साहिब,
रीझ करी हद आधी रात।
गूदड़िया ताण हुवो घोराणो,
प्यारा उठरै हुवो प्रभात।।३
पड़ियो आय पाछली पोरां,
गिटियो नाही हेक गिरास।
राली अब तो छोड रीझाल़ू,
तन नै देय मती तूं तास।।४
बडकां तणो गमायो वित सह,
खायो अनै बिगाड़यो खूब।
ठालाभूला चेत ठालेड़ू,
दुष्टी !देख रियो घर डूब।।५
कामण अनै टाबरिया कुशल़ै,
चहै जिकां नै देखण चाव।
प्यालो अनै बोतड़ली परहर,
जाग अबै कीं लावण जाव।।६
कद री अरज करै आ कामण
जोबन भलो गमावै जोय।
गूदड़ छोड अबै गादड़िया
उठरै करण कमाई कोय।।७
~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”