हनुमान तांडव – सुरताणिया जगमालसिंह ‘ज्वाला’

Hanuman2

।।दोहा।।
डगमग पग लग डोलती, थग थग धरणी थाय।
भगतवसल इण भुवन से, जग जग जस नह जाय।1।
गढ़ लंका सब गोखड़ा, भांगया तु भरपूर।
उछल उछल उधयान में, रमे रास लंगूर।2।

।।छंद रेणकी।।
रट रट मुख राम, निपट झट नटखट, परगट तांडव रुप रचे।
कट कट कर दंत, पटक झट तरु वट, लपट झपट कपि नाच नचे।
दट दट झट दोट, चोट अति चरपट, लट पट दाणव मार लहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।1।

फरररर आभ, पंथ बहे फररर, घररर नाद युँ साद घुरे।
डर डर कर सोय, अचर अरु वनचर, फर फर नभचर, आज फरे।
थर थर अति पीठ, कमठ थिर थिरके, ढररर लंका कोट ढहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।2।

हड़ड़ड़ हाक धाक देय हनुमंत, कड़ड़ड़ यु ब्रह्मण्ड कंपे।
गड़ड़ड़ गाज आभ होवे गड़ गड़, धड़ड़ड़ कोप धरा धरपे।
चड़ चड़ गिरी सूर, हूर हस हड़ हड़, तड़तड़ करतल नाद वहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।3।

बळ वळ अति प्रबळ, निर्मळ मुख मळकत, जळकत शशि जिम रूप जयो।
पळ पळ प्रतिबिम्ब, जळळ तळ थळ जळ, भळळळ भाण उजाण भयो।
हळळळ हीर वीर होवे हळ हळ, छळ छळ वपु वळ रुप वहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।4।

रजनीचर समर, धरे अज अनुचर कर कर धर वध, ढेर करे।
निरखत सब नजर, देव नर किन्नर, भर भर उर अति नूर भरे।
हर हर कर नगर डगर धर बंदर, घर घर अंदर अगन दहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।5।

खळ खळ अति रगत, बहे नद खळळळ, ढळळळ आंत्रड़ भोम ढळे।
खळ दळ झट मचळ, घसळ दय वळ वळ, गळळळ काळज पेट गळे।
दळ दळ सोय नाथ हाथ जु खळ दळ, पळ पळ शिव सब खबर लहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।6।

दट दट भट मुंड, शुंड शर कट कट, लट लट धरणी सीस रढे।
पट पट भट हाथ लेय झट पटकत, चटकत प्राण जु बाण चढ़े।
गट गट झट गटक, झटक लहु जोगण, मरघट के सम लंक वहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।7।

भर भर भणडार, द्वार सुख सागर, नागर निश दिन आप नमों।
घर पर धन धान देय हर धीणो, समरथ कुण धर आप समों।
हर हर ‘जगमाल’, रटे निशि वासर, कथे छंद फरजंद कहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।8।

।।छप्पय।।
कड़ड़ दंत कड़ड़ाट, नाट नटराज नचायो।
धड़ड़ धरा धड़ड़ाट, दाट दैतांण डचायो।
हड़ड़ हचे हडुमान, गान चारण मिळ गावै।
अखिल उचारे ओम, वयोम पुष्प वरसावे।
हड़ड़ड़ हसें श्री राम हिव, हेर जुद्ध हड़मान रो।
जगमाल कवी जपियो जबर, गजब गीत गुणगान रो।।

~~सुरताणिया जगमालसिंह ‘ज्वाला’

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One comment

  • दिलावर सिंह

    इसका जाप कितने दिन करना है।।क्या यह हनुमान तांडव है ।इसकी साधना कैसे करनी है।।।यह किस उद्देश्य हेतु जपा जाता है

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