हे मायड़ भाषा ! माफ करजै !

हे मायड़ भाषा !
माफ करजै!
म्हे थारै सारू
कीं नीं कर सकिया!
फगत लोगां रो
मूंडो ताकण,
उणांरी लिकणी लिकण कै
उवांरी थल़कणां
धोक लगावण रै टाल़!
थारै नाम माथै
रमता रह्या हां
आजतक
अंधल़गोटो
लुकमीचणी
कै
कदै -कदै
भांगता रह्या हां
कोथल़ी में गुड़!!
कै
चूल्है रै चांद ज्यूं
चूल्है री बैवणी माथै
झाड़ता रह्या भासण!
क्यूंकै
न तो है म्हांरी
आसंग है उठण री!
अर नीं हां
म्हे इतरा पगाल़!
कै पूग सकां
उणां रै बारणै
जिकै करता रह्या है
आंख टाल़ो थारी महत्ता सूं
नकारता रह्या है
थारै वैभव नै
रगदोल़ता रह्या है
थारै ऊजल़ियै इतियास नै
गदल़ावता रह्या है
वर्तमान नै
स्वारथ रै कादै सूं।
तोलता रह्या है थारो तोल
वोटां री काण ताकड़ी सूं
मींढता रह्या है
थारो मोल
आपरी आंटो
खावणी वाल़ी जीभ सूं
अर जीभ ई
इतरी लिपल़ी कै
आंटो खावती ई रैवै!!
अर म्हे इण आंटै!
आवता ई रह्या
लेवता ई रह्या थथूंबा!
फगत इण आशा में
कै
मा आवै ! अर बाटियो लावै!
काढ दिया वरसां रा वरस!
तन्नै तो ठाह है!
कै
म्हांमे नीं रैयी इतरी ऊरमा
कै सूरमापणो
जिणरै पाण
म्हे कर सकां
आंख सूं आंख मिलाय
उणां सूं बात
जिकै खावता रह्या है
बाजरी म्हांरी
अर बजावता रैया हाजरी बीजां री!
इण में कांई इचरज?
कै
सूतां री भैंस
लावती रैयी है पाडा
माफ करजै म्हांनै!
म्हांरै निपोचापणै नै!
म्हां सगल़ां री गत आ ईज है
कै “उठ बींद फेरा ले!
हें र राम मोत दे!”
ऐड़ी पोच रै
धणियां रै भरोसै
तो नीं लागै
कै थारो गौरव
थारो वैभव
मंडणियो कोई जागेला?
तूं मत करजै आशा
कै थारो ऊजल़ियो इतियास
बणैला पाछो वर्तमान!
हे मायड़भाषा!
तूं क्षमादात्री है
म्हांरो ओ गुन्हो
माफ करजै कै
म्हे थारै सारू
रगत तो कांई!
पसीनै रो टोपो ई नी टपकाय सकां!!
हां अखबार में छपण कै
पोलपट्टी में किणी नेता रै चिपण सारू
कर सकां हां
मरण रो सांग!
अर सांग!
तूं देखती ई रैयी
वरसां न वरसां सूं।

~~गिरधर दान रतनू दासोड़ी

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.