हिंगोल़राय री स्तुति

hinglaj-mata

सरणी है निज सेवगां करणी अणहद काज
धर पिछम मे मात धिन हरणी दुख हिंगलाज।।

छंद रोमकंद
पिछमाण धराल़िय तैं प्रतपाल़िय थांन तिहाल़िय जेथ थपै
सत्रु घट गाल़िय संत सँभाल़िय देव दयाल़िय रूप दिपै
पुनि पात उजाल़िय तैं पखपाल़िय लंब हथाल़िय कूण लखै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै १

सुणती झट वाणिय तूं सुरराणिय धीर धिराणिय ना धरती
मन चिंत मिटाणिय आणिय आतुर काम अमाणिय तूं करती
मुरलोक मनाणिय सो सचियाणिय जाणिय जोगण रूप जिकै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै २

भणकार पड़तांय सवार भवानिय लाड मही बुचकार लही
अणधार आधार बणै इल़ आयल सार सुकार हजार सही
नित पार लगार तूं हार निवारण सांभल़ भार सँसार सकै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै ३

तन ताप सँताप निवारण तारण कारण संत पुकार करै
हित सारण हेर नितां दुख हारण ध्यान सु चारण फेर धरै
थय सेवग थाट तुंही उर ठारण जारण तूं जगजाल़ जिकै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै ४

किरपाल़ गुनो कर माफ कहूं किम औगण सीस पे बाल़ इता
प्रतपाल़ रुखाल़ सँभाल़ण पाल़ण जोगण टाल़ण दोख जिता
विरदाल़ पँपाल़ तूं गाल़ण वाहर पाधर जाहर आव पखै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै ५

समरत्थ तुहीअत्थ दे सुख दे सुण कीरत कत्थन कूड़ करी
धर सत्थ सगत्त तुही सत धारण हत्थल़ वीसांय बैठ हरी
मन चिंत मिटै चित शुद्ध रहै मुझ ढाल तुही हर हाल ढकै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै ६

सरणै सँत आय अथाय पड़्या सत साय तुही अपणाय सजी
प्रगटी हरसाय किया गेह पावन बेख वसू वरदाय बजी
सुरराय करन्नल आयल सैणल लेस नही सुर भेद लखै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै ७

उजवाल़ कियो अवनी कुल़ ईहग पाल़ दियो सत वाच पखो
रखवाल़ लियो महमाय रढाल़िय टाल़ दियो दुख जाल़ तिको
सरणागत राख लियो निज सेवग दान गिरध्धर कीर्त दखै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै ८

छप्पय
है दिस पिछम हिंगोल़, वीदगां मदद बडाल़ी
थान बिलोचिसथान, दिपै धर रूप दयाल़ी
इल़ ऊपर अवतार, बहु जग रूप बखाणै
संकल़ाई संसार, जगत जाहर जस जाणै
अनादि आद आती आगै, बीसहथी मत वीसरी
गीधियो सरण तोरी गहै, अहर निसा तो ईसरी

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