होळी रा रंग
होळी में झोळी भरै, रंगों री अणपार|
सह टोळी फागण सखी,आयौ आपण द्वार||१
साजण तन भल रंग मत ,पण मन रँग दे जोर|
तन रंग मिटसी झीलतां,मन रँग मेटण दोर||२
मन चुनरी मन भावणी,तन री रेशम कोर|
पिचकारी भर प्रेम री,ढोळो मत चितचोर||३
लेखण पिचकारी करै,कागद पर मसि धार|
नवरँग नवरस नीपजै,कविता रा अणपार||४
कागदियौ जिम मम काळजौ,कोरो मोरो साव|
पिचकारी लेखण पकड,लिख फागण रा भाव||५
कागद है वृषभानुजा,कलम श्याम मसि कान|
नव रँग नव रस नीपजै,अंतस रे बरसान||६
कलम तणी पिचकार सूं,मन रँग करै निचोड|
कागद -राधा ,कवित रस,कवि -श्याम दे छोड||७
कलम तणी पिचकारियां,बिलकुल सब बेरंग|
जद लग इण में है नहीं,नवरस कविता संग||८
~~वैतालिक