इण आजादी री इज्जत नैं, म्हे राजस्थान्यां राखी है

प्रमाण अलेखूं पुख्ता है, इतिहास जिकण रो साखी है।
इण आजादी री इज्जत नैं, म्हे राजस्थान्यां राखी है।।
म्हैं इतिहासां में बांच्योड़ी, साचकली बात बताऊं हूं।
घटना दर घटना भारत रै, गौरव री गाथ सुणाऊं हूं।
इण गौरवगाथा रै पानां में, सोनलिया आखर म्हारा है।
कटतोड़ा माथा, धड़ लड़ता, बख्तर अर पाखर म्हारा है।
धारां धंसतोड़ां, भड़बंकां, मर कर राखी है आजादी।
सिंदूर, दूध अर राखी री, कीमत दे राखी आजादी।
म्हे रीझ्या सिंधू रागां पर, खागां री खनकां साखी है।
इण आजादी री इज्जत नैं, म्हे राजस्थान्यां राखी है।।
अमर सिंह रो तेज कटारो, खान सलावत नै खाग्यो।
तोगै री तलवार चली जद, शाहजहाँ महलां भाग्यो।
जयमल पत्ता अर गोरा बादल, दुष्टां रा खोगाळ बण्या।
दुर्गादास रु चन्द्रसेन सब, मुगलां सारू काळ बण्या।
जद ताणी सांस सरीरां में, तद् ताणी ऊंची ताणा हां।
नटणो अर हटणो नी जाणां, (म्हे) कटणो खटणो जाणां हां।
माटी वा रगत रचीज्योड़ी, समहर री बातां साखी है।
इण आजादी री इज्जत नै, (म्हे) राजस्थान्यां राखी है।।
जिण वक्त हिन्द में मुगलां रै, शासन रो डंको बाजै हो।
राजा महाराजा सगळा में, अकबर नाहर ज्यूँ गाजै हो।
नवरोज नारियां बुलवातो, मीना बाजार लागतो हो ।
अस्मत रो मोटो सौदागर, मनचाही मौज मनातो हो।
अकबर रै घोर अंधारै में, बंदी जनमानस सारो हो।
आजाद उजाळो ल्यावणियों, हिंदवाणी सूरज म्हारो हो।
हिल्दीघाटी री मांटी ही, आजाद हिन्द री झांकी है
इण आजादी री इज्जत नै, म्हे राजस्थान्यां राखी है ।
~~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
आपरी भाषा समझ और कौशल नै बार बार निवण है
पुरै राजस्थान रौ इतिहास एक कविता रै मै समटणनी कौशिश नै प्रणाम है , गुरु जी ।।।
बेहद खूब कवियां रा राजा,
मायड़ भाषा रा मान आप री लेखनी न नमन