ईसाणंद म्हारा आदेश

आसा ईशर अवन उण, प्रगट्या मोटा पात।
भोम अहो भादरेस री, विमल़ चहुदिस बात।।
।।गीत वेलियो।।
आयो कुळ जात उजाळण अवनी
भायो भोम नमो भादरेस,
सूरै भाग सरायो सारां।
ईसर पायो पूत आदेस।।1
जोरां जात करी जग जाहर,
पातां छात कलम रै पांण।
अह अखियात उबारण आखां,
वीठळ ख्यात सुणी तो बांण।।2
हरि रो गान भलो ओ हरिरस,
सरस काव्य भगती री साख।
परस हुवो परमेसर परतख,
भाळ हरस कहियो धिन भाख।।3
पढियां कटै जगत रा पातक,
सुणियां मिटै जिता अघ सार।
जड़ता दटै दृढता जोवो,
हटै तन मन व्यापी हार।।4
देवीयाण सुजस देवी रो,
जेवी गंग खळकती जोय।
ईसर तैं बडा कव अेवी,
तरण तरेवी आखी तोय।।5
पढियां पाप प्रजळ परभातां,
धरै आप आई धणियाप।
तिणरो रोर काप दे तूठी,
छतै जाप सूं लागै छाप।।6
हालां झांलां बोल हुलासण,
ठालां भूलां तणी रख ठाक।
काला वीर हुवै सुण कीरत,
सधर मरै भालां री साख।।7
कुजस मांय नाथ री कीरत,
वीदग साच हाथरी बात।
आतरी किम सजी तो ईसर,
तवां बळिहार रातरी तात।।8
सांगो गोड़ कियो सरजीवण,
दियो प्राण करन नै देख.
लाखां मुखां लियो जस लाटै,
ईसर व्हियो वरण मे एक।।9
भू भादरेस सँचाणो भारी,
थिर थारी कीरत रा थान.
सारी गुजरात जेण री साखी,
रसा आभारी राजस्थान।।10
भारी जात आवै बह भुयण,
नमै संसारी बेनां नेस।
गिरधर वंद करै गुणधारी,
ईसाणँद म्हारी आदेस।।11
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”