इयां मरै को नीं भाऊ!!

एक’र पोकरण रै आसै-पासै भयंकर काल़ पड़ियो। काल़ नै तो कीकर ई कूटर काढणो पड़सी! आ विचार नै अठै रा दो आदमी सिंध ग्या।
सिंध रै किणी गांम में पूगा, उठै उणां देखियो कै किणी धायै घर री बहुआरी गूंघटै में आपरै फल़सै रै बारलै वल़ा फूस बुहार रैयी है।
एक आदमी बोलियो ‘भइया कोई ओसाण करां ! जिको झांकल़ री ठौड़ हुवै!!’
दूजोड़ै कह्यो ‘हवै’ (हां)
तो ‘तूं ओसाण काढै कै हूं?’ पैलड़ै आदमी पूछियो।
दूजोड़ै कह्यो ‘ओसाण हूं काढां अर तूं बात केवट!’
ठीक है।
दूजोड़ो आदमी पोला-पोला पग मेलतो होल़ैसीक बांगरी बारती बहुआरी रै कनै जाय ऊभग्यो। विचारी नै गूंघटै में आदमी ऊभो दीखियो नीं अर बांगरी रो फटकारो आदमी रै पग रै लागग्यो। ज्यूं ई बांगरी रो फटकारो लागो अर त्यूं ई आदमी तड़ाछ खाय पड़ियो!
कनै ऊभो दूजोड़ो दौड़’र आवण रो सांग करतो आयो अर तड़ाछ खाय पड़ियै आदमी रा कान खांचिया पण हरे!!हरे!!!मांयां सास रो वासो ई नीं ! कान खांचणियो आदमी जोर सूं कूकियो ‘ठालीभूली हत्यारी, म्हे गरीब आदमी थारो कांई खायो ? जिको मिनख री झांई कर दीनी!! मिनख भखणी ! झंखणी कठै ई री! थोड़़ी घणी ई दया नीं आई मिनख मारती नै!! हे राम खोटी करी। अजाण भोम। म्हां गरीबां रो अठै कुण?
एक वल़ा बेहोश आदमी तो दूजै कानी कोजी ढाल़ै कूकतो उण रो रिस्तेदार।
अबै बापड़ी लुगाई सैतरी बैतरी हुयोड़ी शंकती-शंकती होल़ैसीक पूछियो- ‘बा म्हैं कांई कियो? म्है तो फूस बारती अर भूल सूं बुहारी इणरै लागगी ! पण इण तिणकलां सूं कोई आदमी मरै भला!!’
कूकणियो, कूकतो थको बोलियो ‘अरे काल़मुंही ! एक तो मिनख मारियो अर ऊपर सूं पूछै कै म्हैं कांई करियो ? अरे हतियारण राम सूं डरै का नीं? तनै ठाह है कै ऐड़े बिखै रै मारियै नै एक तिणो ई मारण नै घणो पछै तें तो सौ तिणा एकै साथै बाया है!!’ आ कैयर बो भल़ै जोर सूं कूकियो ‘म्हारा मीठा भाईड़ा रे! आ की करी? इण परभोम में इयां कांई कियो?अबै म्हारो अठै कुण?’
विचारी लुगाई कीं इण अचाणचक हुयै खिलकै सूं अर कीं आपरी सासू रै भोताड़ स़ूं डरूं फरू़ं अर डाफाचूक हुयगी! उण पूछियो ‘बा ! इयां रोवो मत। ओ आदमी कीकर ई बचै ऐड़ी जुगत करो, नीं तो म्हारी सासू म्हनै बटक्यां सूं खाय जावैली!’
कूकतो कूकतो आदमी बोलियो ‘जे थारै घरमें घी गेहूं अर गुड़ हुवै तो बेगी जा अर रवि (पतला सीरा) बणा ला ! जे इणनै दोरी सोरी ई ढल़गी तो देखसां। जे थारा भाग भला हुवैला तो बच जासी नीतर म्हांरा भाग तो फूटोड़ा है ईज।’
बापड़ी गई अर पूरो कड़ालियो भर र रवि लाई! अर बोली लो बा कीकर ई इणरै ढाल़ो!
बा! बेहोश पड़ियै आदमी रा कान खांचण रा सांग करता उणरै होठां रै कड़ालियो लगायो अर बोलिया ‘ले भइया कीकर ई ढल़ै जणै तो ढाल़!!’
बेहोश पड़ियो आदमी रवि री सोरम सूं इणभांत होश में आयो जाणै बुझतै दीयै में तेल घालियो होवै!! उण सरड़क-सरड़क दो सरड़कां में ई आधै सूं ज्यादा रवि सूंतली! तीसरो सुरड़को भरण लागो जितै पावणियौ आदमी कड़ालियो खींचतो बोलियो ‘भइया ! हमे हुवो (बस) कर ! आज आज इती सूं मरै कोनी ! सवारै री सवारै देखसां। भइया म्हारै ई पेट में कूकरिया कूदै ! एक सरड़को म्हनै ई भरण दे।’
विचारी बहुआरी चितबगनी हुयोड़ी इणां रै साम्ही देखती रैयी अर ऐ खल़खल़ी देता आगे टुरग्या!!
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”
Sindh old history need