जवानां

जीवण असली जंग जवानां,
जंग जुट्यां ही रंग जवानां।
रण नैं छोडणियां निरभागी,
कोई न वांरै संग जवानां।
जीवटता नैं सौ जग पूजै,
आंकस राखो अंग जवानां।
खाडा, पाथर, काँटा, आंटा,
आं सूं डरै अपंग जवानां।
सूरज बण अंधारो सोखो,
बदळो जीवण ढंग जवानां।
डफल्यां री डूंफर मत डरपो,
चंगो अपणो चंग जवानां।
निज बळ तेज-आग बण निखरो,
जगती बणै पतंग जवानां।
गर्दभ, स्वान, गादड़ा छोड़ो,
चढणो पीठ पमंग जवानां।
मन मजबूती राख्या मरदां,
हारै नीं हुड़दंग जवानां।
जंग में जीत हूंस री होसी,
बिना हूंस बेरंग जवाना।
भाखर चीर धीर-पथ धायां,
दुनियां रहसी दंग जवानां।
गजादान गफलत रो गेलो,
थिरचक रहसी तंग जवानां।
जीवण असली जंग जवानां।
जंग जुट्यां ही रंग जवानां।।
~~डॉ.गजादान चारण ‘शक्तिसुत’