कभी-कभी तो दिल की भी मान लिया कर!

कभी-कभी तो दिल की भी मान लिया कर!
मुरझे हुए चेहरों पर भी मुस्कान दिया कर!!

निष्ठुरता से, बने रिस्ते भी भूल जाते हैं लोग!
उत्साह उमंगों की तरंगों का छात तान लिया कर!!

अपनी मस्ती में मस्त रहना भी ठीक नहीं यार!
कभी कभी दूसरों के देख अरमान लिया कर!!

लोगों की बातों का क्या ? वो होती रहती है!
अपनी बातों को सुनाने की कभी ठान लिया कर!!

ये जो चमक दिखाई दे रही है चौंधियाती सी!
ऊपर के मुखौटे भी कभी तो पहचान लिया कर!!

अखबारों की कतरनों पर इठलाने की मत कर!
हकीकत धरातल की सत्यता भी जान लिया कर!!

ज्यादा तानने से जंजीरें भी टूट जाती है यार!
दूसरों के भावों को कभी तो सम्मान दिया कर!!

पस्त करने की मंशा से हौंसले पस्त नहीं होते!!
ऐसे में रतनू जोश से जूझने की ठान लिया कर!!

~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”

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