काली रूप आवड वंदना
दोहा
दसविध री देवी महा,प्हैली काली रूप।
आवड कीरत आखवा,आखर देय अनूप॥1
काली रूप कपालिनी, खपराळी खळ खाण।
नरमुँड माळी व्यालिनी,प्याली शोणित पान॥2
छंद सारसी
क्रां भद्रकाळी, क्रीं कृपाळी, क्रूं कराली, कालिका।
मां मुण्डमाळी, डं डमाली, वपु विशाळी, ज्वालिका।
जय जगतपाली, वृद्ध बाली वेश भाळी मावडा।
काली कराली, वदन वाली, अस्थिमाली, आवडा॥1
समसान वासी, अट्टहासी, वपुअमासी, कज्जला।
प्रति पल पिपासी, पुंज राशी, भव्य भासी, चप्पला॥
मेटो उदासी, हिये वासी, फँस्यौ फासी, डावडा।
काली कराली, वदन वाळी, अस्थि माळी, आवडा॥2
मां शवारूढा, गहन गूढा,बाळ बूढा, वेसरी।
गळमाळ तुंण्डा, तुं चामुँडा, शगत झुंडां, ले खरी।
खळ महिख खंडा, चंड मुंडा, दैत दंडा, तुं वडा॥
काळी कराली, वदन वाळी, अस्थिमाली आवडा॥3
जय खळ खपाणी, खडग पाणी, राज राणी, शंकरा।
सगती शवानी, मां शिवानी, है श्मशानी, तूं परा।
वरदान दानी, जगतजांणी, है ईशानी, भख-मडा।
काळी कराली वदन वाळी,अस्थिमाली आवडा॥4
घन नील श्यामा, शर्व वामा, हे ललामा, कामदा।
भव तणी भामा,विविध नामा, वंदना मां, सर्व दा।
काटो तमामा, वेदना म्हां, हिय हामां, डावडा।
काली कराली, वदन वाली , अस्थिमाली, आवडा॥5
त्रय नेत्र वाली, वहै पाळी, घण उताळी, हिंगुला।
मुख जिह्व ज्वाली, वपु विशाली,महा काली, चंचला।
दंष्ट्रा डढाळी, हे दयाळी, नेह न्याळी, धा वडा।
काली कराली, वदन वाळी, अस्थिमाली आवडा॥6
खळ दळां खंडी,दैत दंडी, मां प्रचंडी, ईसरी।
जळहळ अखंडी, लाल झंडी, युध्द चंडी, तूं खरी।
चामुंड चंडी, विश्व वंदी, मात मंडीत तु वडा।
काली कराली, वदन वाली, अस्थिमाली आवडा॥7
क्लीं कान्ह कारी, रूप वारी, शव सवारी, वंदना।
दिगवसन वारी, है हजारी, वार वारी, प्रार्थना।
नरपत तिहारी, शरण मां री, कर दया री, मामडा।
काली कराली, वदन वाली, अस्थिमाली, आवडा॥8
दोहा
आवड मावड आपही, काली कृष्ण स्वरूप।
नमन मात महिमामयी,भवा आप सुरभूप॥
~~वैतालिक