कर हर सुमरण पाप कटै

।।दोहा।।
दीन दयाळू दोडियो, कारण संता काम।
भूखो हर तो भावरो, रीझै पेखत राम।।
अगम अगोचर अलख रो, नर रट रे नित नाम।
अविगत हंदै आसरै, तिरिया भगत तमाम।।
।।छंद रेंणकी।।
समरथ मत विसर अहर निस सांप्रत
परवर सुर नर होत पखै।
जाहर घट बात जबर जगदीसर
रब सब री इम खबर रखै।
मोटम घर आस मकर फिकर मन तूं
डगर अडर इण एक डटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।१
मनमोहन चरण सरण पड मूरख
धरण अंबर बिच एक धणी।
पह पोखण भरण करण प्रतिपाळंग
गिरी धरण री पौंच घणी।
वो तारण तरण हरण अघ टीकम
मरण जलम भव बंध मिटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।२
भांजण धर तिमर भरम हर भूधर
धरम थपण कर चकर धरै।
जुपियो पख अमर समर जोगेसर
कातर सुर अणबीह करै।
उणरो धर ध्यान चूक मत अवसर
हर हर करियां दुबध हटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।३
सुकरत कर उचर असत मत सठ सुण
कवत अंनत कथ वेद कही।
जगत मोह तजत भजत जस जगपत
निस्चत व्यापत चिंत नहीं।
नित प्रत रहत मसत पद श्रीपत नत
सदगत संपत भाव सटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।४
झूठो मत जकड़ मकड़ रे जाळां
रुगड़ अकड़ मत एक रती।
काटळ फकड सकड़ है किणरी
मूरख इतरो अकड़ मती।
बहसी सह हकड़ लकड़ बिच अातां
पकड़ नांखसी सैण फटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।५
रट रट रघुनाथ भटक मत रुळपट
धट जिम सठ किम ध्यान धरै।
घट रा पट ढाक मटक मत घाफल
कपट जाळ बिन हटक करै।
नटखट मद मांय भूलियो नटवर
लपट लाख फिर प्रगट लिटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।६
पांमर मत बांध पापरा पोटा
खोटा कर कर केम खळै।
पड़ पड़ इळ दोट हुवा पड़कोटा
महिपत मोटा धूड़ मिळै।
उबरै नहीं एक अवन रा ओटा
जमदोटा जद दैण जुटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।७
करुणानिध कान्ह लाछपत केसव
हरनर प्रगटै दास हितम।
ब्रजपाळ विसंभर वामण विट्ठळ
करत नाथ तव रुप कितम।
प्रणमै कवि गीध प्रमेसर पूऱण
जगपाळग ले सरण झटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।८
पांतर मत पल एक, नाथ नमो बोहनामी।
आवै बाहर आप, सदा संतन रो सामी।।
जगजामी जगदीस, तुंही भव बेड़ा तारण।
हारै पाप हमेस, अनळ बिच दास उबारण।।
अदभूत काज सरिया इळा, करत याद किरपाळ नै।
विसवास आस पूरै विभू, गिरधर भज गोपाळ नै।।
गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”