कारगिल युद्ध – डॉ. शक्तिदान कविया

।।दोहा।।
काश्मीर करगिल्ल कित, द्रास बटालिक दक्ख।
हिंदुस्थांनी देस हित, लड़ै सूरमा लक्ख।।
।।छंद नाराच।।
लड़े लड़ाक धू धड़ाक जंग पाक जोवता।
किता कजाक व्हे हलाक हाक बाक होवता।।
धुवां धमाक झीकझाक रुद्र डाक रूंसणा।
बज्राक हिन्द जुद्ध वीर धाक शत्रु धूंसणा।।
जी धाक रिम्म धूंसणा…..1
निपट्ट भाळ हत्थ नाळ धोम झाळ धूपटै।
खळक्क खाळ रुध्र राळ अद्र गाळ ऊपटै।।
फळां फराळ ढंग ढाळ पाळ मे परूसणा।
बज्राक हिन्द जुद्ध वीर धाक शत्रु धूंसणा।।
जी धाक रिम्म धूंसणा…..2
चहूं चकार धेख धार खार खाय खाटकै।
जठै जुंझार लक्ख लार कारगिल्ल काटकै।।
हुवे हुंकार शस्त्र सार मारकां नहीं मणा।
बज्राक हिन्द जुद्ध वीर धाक शत्रु धूंसणा।।
जी धाक रिम्म धूंसणा…..3
प्रिथी पहाड़ झंख झाड़ तंबू ताड़ तोखियां।
गता गमाड़ फौज ःफाड़ दंत फाड़ दोखियां।।
चिणा चबाड़ पै पछाड़ हद्द राड़ हूंसणा।
बज्राक हिन्द जुद्ध वीर धाक शत्रु धूंसणा।।
जी धाक रिम्म धूंसणा…..4
~~डॉ. शक्तिदान कविया