करणी माता रा छप्पय – कविराजा बांकीदास आसिया

।।छप्पय।।
सुक्रम रुपां शुध्ध, तत्व रुपां जग तारण।
सद रुपां साख्यात, मोद रुपां दुःख मारण।
विद रुपां चंडीका, विस्व रुपां जग वंदत।
निगम सरुपां नित्त, ईश सेवक आणंदत।
सोहत त्रगुण रुपां सदा, जय रुपां खळ जारणी।
ईश्वरी शिवा रुपां अकळ, करणी मंगळ कारणी।।1।।

तुं तारा काळिका, छिन्नमस्ता मातंगी।
तुंही पीताम्बरा, अन्न पूरणा उमंगी।
तुं भुवनेश्वरी तुं ही, भैरवी प्रबल तप।
तुं लच्छी तिहू लोक, जपै विध विध थारौ जप।
करनला वदन देखे कळा, दीपत रवि शशि दुहु पुरी।
बांकलो सदा जामण वदत, तुही राज राजेसुरी।।2।।

कासमीर शारदा, जेम ज्वाळा जाळंधर।
काशी अनपूरणा, अरबुदा आबू उपर।
गढ पावै काळिका, जेम सुंधै चामुण्डा।
कामाखा कामरुप, वाद मोहणी वितुण्डा।
नेपाळ देस सिद्धेसरी, कच्छ देश आशापुरा।
बीकाणै करणी बांकला, सिरै नमे असुरां सुरां।।3।।

गंगा गोदावरी, चंद्रभागा सरसत्ती।
सफरा सरजू सिंध, गोमती साबरमत्ती।
करतोया कौशिकी, माही भीमा कावेरी।
वरोंदका गल्लिका, कन्यका दिनकर केरी।
नरमदा आद जेती नदी, महणा रंम मिलापणी।
तुंही ज प्रकट मेहा तणी, करणी पातक कापणी।।4।।

भय हरणी भैरवी, रोग हरणी सुर राया।
आळस हरणी उमा, मेछ हरणी मंहमाया।
अघहरणी दूगाय, कळह दुःख हरणी करणी।
दाळिद हरणी दुगा, क्लेश हरणी सह करणी।
पावई विघन हरणी प्रबळ, खळ हरणी वन खंडिका।
संताप विपत हरणी सगत, चिंता हरणी चंडिका।।5।।

गायत्री गिरिसुता, सती दुरगा सरसत्ती।
देवी दाक्षायणी, सिंह वाहिनी शगत्ती।
चामुण्डा चंडिका, शिवा अंबा सावित्री।
काळी कातायिणी, पुराणी परम पवित्री।
जोगणी उमा ज्वाळामुखी, वाराही विश्वंभरी।
जय बीसहथी बांकौ जपै, श्रीविद्या शाकंभरी।।6।।

नयणां नारायणी, रास रमणी सुख राशि।
हिंगळाज हरिहरा, विन्धयवासिनी विलासी।
जयेश्वरी ज्वाळिका, रुद्र रुपां रुद्रांणी।
आई आशापुरा, वाग देवी ब्रहमांणी।
राधिका राज राजेस्वरी, भू देवी भुवनेश्वरी।
जय अष्टभुजा बांकौ जपै, सरवज्ञा सरवेश्वरी।।7।।

परम काज पुरणा, अन्न पूरणा अभीता।
श्यामा सिद्धेस्वरी, स्वतंत्रा ललिता सीता।
वैदेही जानकी, द्रुपद पुत्री दमयंती।
मदालसा मालती, ज्योत रुपणी जयंती।
मातंगी विश्व मनोहरा, अमरी अज्जा ईश्वरी।
जय त्रिकूटा बांकौ जपै, जोगमाया जगदीश्वरी।।8।।

उमा अंभोधिजा, काम जणणी श्री कमला।
पदमा पदमालया, विष्णु मन हरणी विमला।
जामवंती रुक्मिणी, भद्रकाळि सतभामा।
प्रकृति पुरुषोत्तमा, आप रुपां अभिरामा।
दिव्या अखंड आनंदिका, वरदा ब्रह्म विलासणी।
जय बंकीदास जसोधना, वेदत्रयी वड वासणी।।9।।

महिखासुर मारणी, शुंभ साजणी सारंगी।
शिव संगी सहचरी, आप औपै अरधंगी।
खळ निशुंभ खंडणी, कंज लोचणा कुंवारी।
त्रिगुण त्रिपुरसुंदरी, ग्यान रुपां गान्धारी।
मधु पीणी अंग जग मोहिनी, पंच वदन प्राणेश्वरी।
जय कमळ माळ बांकौ जपै, गौरि गिर बाणेश्वरी।।10।।

भाग्य प्रदा भगवती, पुण्य गीता प्राचीना।
निरंजणी निरगुणा, निर्भया नित्य नवीना।
बाला चक्रेश्वरी, त्रिसिंध्या संध्या तारा।
कामाक्षा अरबुदा, जोग निद्रा जट धारा।
निरवाण सरुपा नरमदा, पुरण मां पीताम्बरा।
जय अरिंधुति बांकौ जपै, परम तत्व रुपां परा।।11।।

शिलामयी शारदा, हंस वाहिनी विसूधा।
प्राछादिक पाळणी, अखिल व्यापक अविरुधा।
रक्ता छीरोहणी, तापसी तुलसी तुलजा।
देवदूती अनुसिया, कृष्ण भगिनी जदू कुलजा।
कल्याणकारी खेमंकरी, मनसा देवी मंगळा।
निस दीह दास बांकौ नमै, जय किरीट चंद्रोज्वळा।।12।।

नद देवी निरमळा, सिंधु देवी सुर देवी।
वन देवी वरणिजै, ग्राम देवी पुर देवी।
नग देवी निहचला, दुर्ग देवी कुल देवी।
गृह देवी गाइजै, दैत्य देवी सुर देवी।
रिख देवी नित रास रम, सप्त खंड देवी सपय।
ब्रहमांड पिंड देवी वसो, हुय प्रसन्न बांका ह्रदय।।13।।

~~कविराजा बांकीदास आसिया

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