कविता करणी ई व्है तो करजो
कविता करणी व्है तो करजो!
किणी रै आंतरां रा सल़ देख
काढण रै जतनां री जुगत
करजो इण आखरां रै ओलावै
करणी ई व्है तो करजो!
अंतस रो खारास
मिटावण री राग
मीठोड़ै गलवै।
पूंछण नै आंसू
अपणायत रै हाथां
मिनखपणो मंडण
अनीति भंडण रा छंद
उपजावण आणद
करजो तो खरी!
करजो तो खरी!
उण सिंदूर री कूंत!
जिको मिटग्यो
देश री सीम
कदीमी कायम राखण रै भूटकै
करजो तो खरी!
उण जामण री कूख रो मोल
जिणमें लिटियोड़ो
आयो तिरंगै लिपट्योड़ो
भारत रो मोद
गोद में सूतोड़ो
करजो इणरी कविता!
जिणरी वीरत रो साखी सविता
करजो तो खरी
घर में चहचहाती चिडकलियां री
उमंग रो वरणाव
जिणां रै चुगै रै प्रताप
टल़ता रैया है थांरोड़ा संताप
करणी ई व्है तो करजो कविता!
इण अड़ीखंभ ऊभै फल़सै री
जिको राखतो रैयो है
टणकाई री टेक
आपरी अडखण रै पाण
आण नै कायम
काण नै साईजम
करजो इणरी कविता
करणी ई व्है तो
करजो कविता
हिम्मत री हेड़ाऊ
थूंणी री
जिण आपरै सीस
झालियो है थांरोड़ो भुजभार
वेर -उवेर
थांरोड़ै घर री अंवेर
वेल़ा -कुवेल़ा
टाल़ती रैयी है
फैंट फैंटोड़ा नै
करजो इणरी कविता
जिण नीं मूचण दियो
थांरोड़ो माण
आपरै आपाण
गाल़ दियो जोबन
थांरोड़ै जोबन री रुखाल़ी सारु
करणी ई व्है तो करजो
इणरी कविता
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”