काव्यमय कुमकुम पत्रिका
कवि नरपत आसिया “वैतालिक” का विवाह ११ दिसंबर १९९९ को सांबरडा गुजरात में सुखदेव सिंह जी रामसिंह जी गढवी की सुपुत्री लता(चेतना) से हुआ। आपका गांव खाण और पारिवारिक नाम नरेश है। पिताजी का नाम आवडदानजी है। नरपत जी चाहते थे कि उनकी शादी की कुमकुम पत्री काव्यमय हो इसी आशय से उन्होंने अपने नाना श्री अजयदान जी लखदान जी रोहडिया मलावा जो स्वयं अपने जमाने के एक सम्मानित कवि रहे हैं आग्रह किया कि वे उनकी शादी की कुमकुम पत्रिका कविता में बनाकर दे। उनके इस अनुरोध पर नानाजी ने पांच सवैया बनाकर भेजे जो इस प्रकार से हैं। यह इस बात की साक्षी है कि हमारे बुजुर्ग कितने शीध्र कवि और साहित्यानुरागी थे। कुमकुम पत्रिका का फोटो भी यहाँ प्रदर्शित है।
मंगल मूर्ती स्वरुप मनोहर, मंगल मोड़ समे शुभ मानी।
वंदत आदि सुपूज्य विनायक, दीप नवां युग बद्ध सुपाणि॥
रिद्धि ऽरू सिद्धि प्रसिद्धि नवो निधि, लेकर साथ शुची मह-बानी।
प्रिय नरेश-लता शुचि लग्न पे, लेहु प्रसीद सु नन्द-भवानी॥
आत्मज आवडदानजी आसिया प्रिय नरेश चिरायु की शादी।
है सुखदेव जी सांबरडा की सुता सु लता संग याद दिलादी॥
ग्यारे दिसंबर वार शनि शुभ – इसवी वर्ष निन्यानु इत्यादी।
आदरणीय अवश्य पधारिए, आत्मिय मान सनेह अनादी॥
पाते ही कुंकुम पत्रिका ब्याह की, सादर पूर्ण सुस्नेह-उमंगे।
आदरणीय अवश्य पधारिये, प्रीय नरेश विवाह प्रसंगे॥
मोड़ विवाह में बाढ़े अनूपसु, आवहिंगे मेह्मा जो महंगे।
प्रेम पयोधि ह्रदे उमड़े बिच, स्नेह सलिल उतुंग तरंगें॥
प्यारे हमारे समस्त शुभेच्छक और सबंधि शिरोमणि सारे।
मित्र हितैशी बडे लघु बंधव ले परिवार सभी संग प्यारे ॥
खांण पधारन का मत भूलिए, पांवडे सु पलकान पसारे।
राह रहे तक आइये स्नेह से देन शुभाशिष द्वार हमारे॥
नरपत जी को उनकी शादी की 15वी वर्षगाँठ पर कवियों द्वारा दी गयी बधाईयाँ प्रस्तुत है
शादी की 15वीं सालगिरह की बहुत बहुत शुभकामनाएं, और आपके वैवाहिक जीवन के सुदीर्घ/सफल/रोमांचित रहने की मंगल कामनाओ के साथ,
एडमिन का एक पुराना दोहा,
सैजों पायल बाजणी, सदा सुहागन साथ ।
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(आगे की लाइन शम्भूसिंह बावरला पूरी करेंगे)
~चन्दन दान बारहट (ASP)
चालो सतपथ सांतरे, धरे हाथ में हाथ।।
~शम्भू सिंह चोहान
सम्माननीय नरपतसा आसिया नै शादी री साल गिरह री हार्दिक बधाई।
सहचरणी सधरी सजन सदा निभावण साथ।
आसल इण कज आपियो हित सूं तोनै हाथ।।
सदा नेह वरसै सदन सरसै सैण सुजाण।
प्रेम बधै नित परघल़ो मनसुध पावो माण।।
~~कवि गिरधर दान रतनू “दासोडी”
नरपत नेही नित नवा, नवा भाव भर जोर।
प्रीत ज प्यारी धण लगा,धुआं धार धकरोर।।
~~वीरेन्द्र लखावत।
प्रगट प्रेम प्रताप(सूं),पहुंचै पनरा पार।।
~~उदाराम खिलेरी
करे सदा तव कांमणी , नरपत थां पर नाज ॥
नरपतदानजी आसिया साहब को शादी की पन्द्रहवीं सालगिरह पर अभिनन्दन और मां चाळराय से विनंती हैं कि उनके जीवन में खुशियों की बहार हरदम जारी रहे।
~~मीठा मीर डभाल
मधुर मनावै मीत।
बधाई सोढो बगसै,
जबरी पावौ जीत।।
~~संग्राम सिंह सोढा
आपो बधाई आसिया वाह रे कवी वाह
जोड़ी जुग जुग जिए रेवे हिये रेवास
नरपत नर आनंद रत दिन मनावो खास
~~श्रवण सिंह जी राजावत एस डी एम चौहटन
रहै नेह रळियावणो,कदे न अटकै काज।
कदे न अटकै काज,कव्यां सरताज कहावो।
जग मांही जसजीत,नीत शुभ प्रीत निभावो।
धण-धणी सदा धणियाप रख,मौज अमोलक माणची।
पात ‘गजो’ दिल सूं पुणै ,(थारी) जोड़ी रंगभर रह जची।।
~~डा. गजादान चारण ।।शक्तिसुत।।
महर रहै मां करनला,सुजस रहै सुजान ।
अडिग रहै जौङी अमर,बढै मुलक मे मान ।(1)
लता नपो लिपटी रहै,फैले सौरभ फूल ।
सांबरङा ससुराल तक,महक खांण घर मूल ।(2)
पूर बरस पन्दरह किया,सुख-दुख साथी धीर ।
अंतस बधाई आपने,सदा रहो सुख वीर ।(3)
वैतालिक वदतो रहै,सदा रहै सिरमोर ।
साहित दुनिया सूरमो,जौङ अमर रह जोर ।(5)
~~औकार सिह कविया नोख
हरियो भर्’यो आणंद उच्छब हरख सूं रै’ आंगणो !
मन मोद मुळकै धूप बण’ हिरदै हंसै सुख-चांदणो !
है वर्षगांठ विवाह री थां’रै ; हरख म्हांनैं घणो !
अरपूं शबद शुभकामना रा सुरसती-किरपा तणो !
फळ-फूलज्यो राजी रहीजो रामजी किरपा करै !
भगवान नव निध सात सुख कोठार में थां’रै भरै !
आणंद-मंगळ मोकळो दिन-रात रै’ थां’रै घरै !
शुभकामनावां लाख नित नित काळजो थां’रौ ठरै !
जोड़ी जुगल ‘नरपत लता’ दोन्यूं घणा मन मोहणा !
ऐ राम सीता कृष्ण राधा रूप लागै सोहणा !
शुभकामनावां सूंपतां साथी सुखी है स्सै जणा !
राजिंद हरखै दै बधाई लाख लेवै वारणा !
~~राजेन्द्र स्वर्णकार
नपसा थाने नेह सूं,रंग बधाई राज।।
~~नारायण सुरताणीया
लता संग इण लोक मे,निरभय रहो नरेश।।
नरपत दान सा आसिया ने शादी री १५वीं वर्ष गांठ पर मोकल़ी बधाई।
मां भगवती आपने सदा खुशियाँ बगसावे अर निरोगा राखै सा
~~शंभू सिंह जी चारण कजोई
काव्य की कुमकुम पत्रिका सों कीनी वार तिथि की सभी ने मुनादी।
हेर थके सब ठौर मिली नहीं हेर हेर बहु देर लगा दी।
शील सुशील सुकन्या लता “सुख” साम्बरड़ा रै घरां जा लाधी
~~ठाकुर जगदीश बीठू सिंहथल
11 दिसम्बर उन्नीसो निन्याणवे हुई हमार नृपत्त की शादी।
काव्य की कुमकुम पत्रिका सों कीनी वार तिथि की सभी ने मुनादी।
हेर थके सब ठौर मिली नहीं हेर हेर बहु देर लगा दी।
शील सुशील सुकन्या लता “सुख” साम्बरड़ा रै घरां जा लाधी
बधाई हो नपसा