नारी बन तू निडर निर्भया

खुद के भीतर देख निर्भया
बदल ब्रह्म के लेख निर्भया
तू सूरज है, तेजपुंज तू
वहसी तम की रेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
भीतर का भय त्याग निर्भया
जगना होगा, जाग निर्भया
तेरी ताकत सागर जैसी
दुष्ट झाग सम पेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
खुद की ताकत ताड़ निर्भया
जम की जाड़ उखाड़ निर्भया
तू बब्बर है, शक्तिकोष तू
फैंक निरबला भेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
क्रूर दया को क्या समझेंगे
अपने बनकर भख ले लेंगे
संवेदन का सागर सूखा
रूखी तल की रेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
रिश्तों पे भारी रखवाले
गौरे तन में मन हद काले
रिश्ते-नाते तार-तार है
अनचाहे उल्लेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
सती (उमा) पती के लिए जली थी
सीता सत के हाथ छली थी
द्रुपद सुता की दुखद कहानी
समझ सोच संपेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
तान तर्जनी बरज निर्भया
चंडी बनकर गरज निर्भया
विनय, अनुनय, दया, दीनता,
सारहीन सब लेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
पकड़ समय की डगर निर्भया
नारी बन तू निडर निर्भया
आँख उठा अरु झांक आँख में,
(फिर) सीधी दुम संपेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
और नहीं आधार निर्भया
समझ समय को सार निर्भया
सच की राह, शौर्य का बाना
कर केसरिया भेख निर्भया
खुद के भीतर देख निर्भया।
~~डाॅ. गजादान चारण “शक्तिसुत”