कितरा म्हारा बदल़्या गांव

कितरा म्हारा बदल़्या गांव
गंगाजल़ सा गदल़्या गांव
दूध दही री नदियां बैती
दारू सूं तर डूब्या गांव।
सल़िया सल़िया नेही होता
करै कुचरणी अल़िया गांव।
खुद री नींद सोवता उठता
अब तो है हांफल़िया गांव।
डीजै री ताकड़धिंग रीझै
जम्मो जागण भूल्या गांव
धीमो मुधरो जठै वायरो
धूंवां भतूंल्यां रल़िया गांव
आफत मे कांधो दे जुड़ता
अबै कचेड़्यां उरड़्या गांव।
सीरोल़ो संसार होवतो
थारी म्हारी झूल्या गांव।
छानै मानै आयो जावै
र्याण कोटड़ी विसर्या गांव।
हेलै रै भणकारै भेल़ो
माइक सूं नीं चुल़िया गांव।
भाछ करैने काम काढता
मंगताई मे डुल़िया गांव।
कूड़ कपट रै धूड़ बगाता
नगटाई मे फूल्या गांव।
गुनहगार रै बूंट बाल़ता
फगडाल़ां संग टुरिया गांव।
गांव जाई तो बेटी सबरी
उण सूं ई अब बदल़्या गांव।
लाज तणा पावां मे लंगर
लजहीणां सूं भरिया गांव।
राजनीति रै कादै फसिया
नाता रिस्ता बाल़्या गांव।
बाजी बूजी फल़सो होता
मतो मती अब निसर्या गांव

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