कोमल है कमजोर नहीं है

कोमल है कमजोर नहीं है
यह कोई झूठा शौर नहीं है
अतुलित ताकत है औरत की,
इस ताकत का छोर नहीं है
कोमल है कमज़ोर नहीं है।
विधना ने वरदान दिया है
ऊंचा आसन मान दिया है
सृजना का अधिकार इसे दे,
माँ कह कर सम्मान दिया है।
इसके जैसा और नहीं है।
कोमल है कमज़ोर नहीं है।
तन मन से कोमल हर मादा
रखती किंतु कठोर इरादा
बहुदा फूल कभी चिंगारी,
बनकर पूरा करती वादा
बस हमको यह ग़ौर नहीं है
कोमल है कमजोर नहीं है।
यही हमारी प्यारी बहना
हम सबका जो माने कहना
यही बुआ दमदार हमारी,
हैं रिश्तों का उज्ज्वल गहना
इससे पावन डोर नहीं है।
कोमल है कमजोर नहीं है।
बेटी बन जिस आँगन आए
उस आँगन को स्वर्ग बनाए
बन चिड़िया उड़ जाती इक दिन
परिजन सब आँसू ढरकाए
शेष कलेजा कौर नहीं है
कोमल है कमजोर नहीं है।
यही है दादी है यही नानी
सास बहू है यही सयानी
बेटी बहन बुआ भी है यह,
माँ भी यही यही है रानी
मानव है यह ढोर नहीं है
कोमल है कमजोर नहीं है।
~~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’