क्रोड नमन किरमाल़


खल़ पर खीजै खार कर, खय करवा खुंखार।
भय हरणी रण रंजणी, तनें नमन तलवार।।१
अशरणशरणी अंबिका, हुई सदा रह हाथ।
रे!रणचंडी रीझजै, मनसुध नामूं माथ।।२
धावड बण बिच ध्रागडै, सूरां रखै संभाल़।
रणचंडी! खंडी खल़ां, , करूं नमन किरमाल़।।३
आसुतोस नें अरपणी, माथ-कमल़ दल़ माल़।
तनें रंग तलवार लख, क्रोड नमन किरमाल़।।४
वसुधा जातां वाहरू, ध्रम जातां व्है ढाल।
खडग!भवानी! खप्परा, क्रोड नमन किरमाल़।।५
सूरां रे साथै सदा, भागै कायर भाल़।
सेवी जिण उण री शिवा!, क्रोड नमन किरमाल़।।६
वट राखै वीरां तणौ, काल़ी!थूं बण काल़।
अरियां गंजण अहरनिस, करूं नमन किरमाल़।।७
आवै अबला आंगणै, डब डब नयणां नीर।
उण पल़ आपूं आसरौ, माता! दे समशीर!।।८
सीधी मैलै सुरग में, नद जिम गंगा नीर।
कटियां देवै कीरती, सदा मात समशीर।।९
गायां, बायां, गोतरी, रो रेवूं रखवाल़।
मात रीझ आपौ मनैं, करूं अरज किरमाल़।।१०
आई! अगवाणी रहै, रण में वैतां व्हीर।
सदासहाई! आप नें, शत वंदन समशीर।।११
~~©वैतालिक