कूंची फैंक समंद

सुरमे ज्यूं रखजै सखी, आंख्या माँही आँज।
पछै पलक कर बंद अर, रख घुंघट पट मांझ॥1
नैण कोटडी मौ छुपा, द्वार पलक कर बंद।
अवगुण्ठन ताळां जडै, कूंची फैक समंद॥2
केस रैण जिम काजळी, तारक जिम बनफूल।
आनन शशि अनूप लख, जाऊं सुधबुध भूल॥3
चोटी काळी नागणी, बैणी कांचळियांह।
लहराती हालै ललित, मन रे मरुथळ मांह॥4
रैण दिवस मँह तव करै, सघन कुंतली केस।
फेर रूप रस चंद्रिका, पावै सखी हमेस॥5
चोटी काळी नागणी, चंदण अंग सुचंग।
मलयागिर रो भ्रम हुऔ, देख थनै मन दंग॥6
ऊभी ओपै आंगणै, जाण कणेरी कंब।
हर पळ थारा हेत री, झाल रखूं हूँ झंब॥7
अटकी चटकी हाल मत, कर घूंघट की लाज।
पनघट की दूरी घणी, मटकी धर मत आज॥8
तन मन तरसै तिरस सूं, पंथी हुयौ अधीर।
पणिहारी पाणी पिला, नयण-नेह रे नीर॥9