लाखो फूलाणी तूं लछा

“ठगीजै सो ठाकर” री बात कुड़ी नीं है। हथाई रो कोड होवै उण नैं दमड़ा खरचणा पड़ै। ओ काम कोई मोटै मन रो मानवी ई कर सकै। इण में कौई जात रो कारण नीं है। ऐड़ै ई एक मोटै मन रै मिनख रो किस्सो। पोकरण रै पाखती गांव लालपुरो। रतनू जात रो जागीरी गांव। इण गांव रै रतनू भोजराज री उदारता विषयक ओ दूहो घणो चावो-
लायक रतनू लालपुर गिरवर सुत बड गात।
कवि भोजै री कोटड़ी रहै सभा दिन रात।।
इणी गांव में लछीराम नाम रो सुथार रो घर। लछीराम री खातोड़ में आठूं पोर काम अर हथाई। लछीराम मन रो मोटो। उतरो ई मोटो अमल रो बंधाणी। जितो आप खावै उण सूं दोगुणो हथाई वाल़ां नै खड़ाय दे। लछीराम रै नेम। कोई पण जात रो आदमी खातोड़ में आओ उण नै पैला मनवार करणी अर पछै कुशल़ायत पूछणी। इण री इण वधताई री बात पौकरण ठाकुर कन्नै ई पूगी। ठाकुर रै आ बात मनी नीं कै एक साधारण आदमी अर असाधारण विशेषता। उणां उण नैं आप रै गढ में बुलाय एक गाडी करण रो कैयो अर ओ पूछियो कै बो आप रो मावो ई बता दे ताकि उण नैं टंक रो थितियो दे दियो जावो। साथै ई ताकीद ई कर दी कै मावै सूं बतो अमल नीं मिले ला। उण गढ में ई गाडी करणी शुरू कर दी। हथाई रा बिंयां ई थाट लागोड़ा।लछीराम मन काठो नीं करियो। गाडी होयगी। लछीराम ठाकुरां सूं घरै जावण री आज्ञा मांगी जणै ठाकुर साहब उण नैं आज्ञा देवतां थकां पूछियो कै साची बतावजै मावै मांयां सूं कितरो अमल बचायो है? थारा सातूं गुनाह माफ है। जद लछीराम कैयो हुकम! माफी ई देय दी जणै अरज करदूं कै पांच सेर बता खड़ा दियो। ठाकुरां पत्तो करायो जणै बात सोल़ै आनां साची निकल़ी।
उण बगत लालपुरै रा रतनू भगवान दान ई उठै हा। कवि हा। लछीराम उणां रो ई कारीगर। “गुण ना हिरानो गुणग्राहक हिरानो है” री बात मुजब लछीराम री प्रशंसा करण सूं अपणै आप नैं रोक नीं सकिया। कई दूहा कैया उणां मांय सूं दो दाखलै सरूप-
मिल़तां ई मनवार कुशल़ायत पूछै पछै।
सांपरतेक सुथार लाखो फूलाणी तूं लछा।
वांटै ज्यूं वाधोह (थारै)पलै न बाधो पायलो।
मिल़िया श्री माधोह कै लाधो पारस तो लछा।।
जादूराम कवि री पंक्ति एकदम सही है कै –
कवि की जबान पे चढै सो नर जावै ना।
आज नीं भगवान दान है नीं लछीराम पण ऐ दूहा आज उण बात रा साखी है
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी