लिख आज कवि कोई इसड़ो गीत

मत रोक कलम नै बैवण दे
तूं लुका छिपी नै रैवण दे
छंट ज्यावै बादल़ नफरत रा
अंतस नै साची कैवण दे
बह ज्यावै दरद कल़जै रो
अर होवै प्रीत री जीत
लिख आज कवि इसड़ो गीत १

फैल रयो मन घोर अंधारो
सूझै नहीं सबल़ कोई सा’रो
लीर लीर तन तपै तावड़ै
पेट भरण नै खपै जमारो
इणरी दशा देख नै मालक
छोड देवै शोषण री नीत
लिख आज कवि कोई इसड़ो गीत २

इण जग रा ऐ कांई ढारा
दुख तो एक दुखी है न्यारा
मिनख उणी मे बंटग्यो भाई
पड़ै ओल़ख कीकर उणियारा
जाग पड़ै मानवता आंरी
धुड़ ज्यावै बिचली आ भींत
लिख आज कवि कोई इसड़ो गीत ३

सूख गई है स्नेह सरिता
अपणायत सूं घट है रीता
मन मेल़ू री वाट जोवतां
रात गई अर दिन बीता
जिवड़ो तार मिलण रा जोड़ै
जाग पड़ै हिंवड़ै मे प्रीत
लिख आज कवि कोई इसड़ो गीत ४

घट तो हुवा संवेदनहीणा
घूंट जहर रा कीकर पीणा
राग रंग फीका सह लागत
कवण बजावै अंतस वीणा
मन री पीड़ राग मे घुल़ज्या
विसर ज्यावै गई सो बीत
लिख आज कवि कोई इसड़ो गीत ५

~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

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