मां मोंगल मछराळ रा दोहा – मीठा मीर डभाल

विनय सुणन्तां वाहरू, तैयार हुय तत्काळ।।
छिन्न में बंध छुड़ावणी, मां मोंगल मछराळ।।१।।
भुज कर लम्बा भगवती, टेम विघन री टाळ।।
महर करण तुंही मुदै, मां मोंगल मछराळ।।२।।
देवी तुझ दरबार में नमै कैक नरपाळ।।
आशा पूरण अंबिका, मां मोंगल मछराळ।।३।।
शाह चोर अर सूरमा, बुढा जौबन बाळ।।
आश करै सहु आपरी, मां मोंगल मछराळ।।४।।
वंश छतीसां वाहरू, रेणुआं हि रखवाळ।।
सगती भीरे हैं सदा, मां मोंगल मछराळ।।५।।
तरणी दधि भव तारणी, सगती लेय संभाळ।।
जबर प्रचाळी जोगणी, मां मोंगल मछराळ।।६।।
चार जुगां री तुं सगत, पूरण जग प्रतपाळ।।
अनेक रूप धर आवणी, मां मोंगल मछराळ।।७।।
संकट भय टारण सगत, करण दूर जम काळ।।
अधम उद्धारण ईसरी, मां मोंगल मछराळ।।८।।
झालै जो नर जगत में, सगती तोरी साळ।।
सहाय करे सुख सम्मपै, मां मोंगल मछराळ।।९।।
अशरण शरण उबारणी, करण दुष्ट खय काळ।।
जग मै परगट जौगणी, मां मोंगल मछराळ।।१०।।
मन्तर तन्तर मोहनी, जन्तर माया जाळ।।
देवी पगतळ दाबणी, मां मोंगल मछराळ।।११।।
विपदा शौक विदारणी, देवी हरण दुंआळ।।
अणहद परचा आपणी, मां मोंगल मछराळ।।१२।।
शकवां उकत समापयां, उर में करण उजाळ।।
जिभ्या बिराजै जोगणी, मां मोंगल मछराळ।।१३।।
असुरां मारण अंबिका, वणी रूप विकराळ।।
सेवक काज सुधारणी, मां मोंगल मछराळ।।१४।।
शीश नमावै छत्रपती, भड़ वंका भूपाळ।।
व्हेजे समरयां वाहरू, मां मोंगल मछराळ।।१५।।
राज समापै रंकने, देवी रीझ दयाळ।।
अखूट माया अरपणी, मां मोंगल मछराळ।।१६।।
वीरां री रण वाहरू, नेड़ी रह नैजाळ।।
परगट आशा पूरणी, मां मोंगल मछराळ।।१७।।
संकट मांहि संभारियां, सगती लेय संभाळ।।
अबखी वखत उबारणी, मां मोंगल मछराळ।।१८।।
पनंग हाथ पकरयो गजब, कर बीजै करमाळ।।
दैतां पग तळ दाबणी, मां मोंगल मछराळ।।१९।।
देवी घर देवसूर रे, प्रगटी मां परचाळ।।
किरत जन दन तों कथै, मां मोंगल मछराळ।।२०।।
भव भय भन्जण भैरवी, असुरां दियण उलाळ।।
विदंगां रे नत वाहरू, मां मोंगल मछराळ।।२१।।
धरा द्वारिका ढूकड़ो, ओखा घर अजुवाळ।।
जनमया भीमरांणें जबर, मां मोंगल मछराळ।।२२।।
रूप मनोहर रम्मणी, कुमकुम लाल कपाळ।।
भल ओपै सिर भेळियो, मां मोंगल मछराळ।।२३।।
भांण ज्यूं चमकै भेळीयो, मोत्यां री गळ माळ।।
शोभे हार सुहांमणो, मां मोंगल मछराळ।।२४।।
वसुधा मैह वरसावियां, सगती करत सगाळ।।
दूरो करत दुकाळ ने, मां मोंगल मछराळ।।२५।।
छिन्न में देवे सगती, वैरी पाछा वाळ।।
खांडैह रिपु खपावणी, मां मोंगल मछराळ।।२६।।
कटक जिमायो कूलड़ी, विध कर फौजां वाळ।।
भीरै नवघण रे भई, मां मोंगल मछराळ।।२७।।
हमीर सूमरो हणवा, भड़ हाल्यो भूपाळ।।
रा तणैह भीरै रही, मां मोंगल मछराळ।।२८।।
सिन्ध मैं हमीर सुमरो, मार्यो झट महिपाळ।।
नवघण प्रण निभावियो, मां मोंगल मछराळ।।२९।।
स्शय हरण चावी सगत, परबळ तैज प्रचाळ।।
अघ मैटण कज अवतरी, मां मोंगल मछराळ।।३०।।
वांकल खूबड़ वरवड़ी, दैवळ मात दयाळ।।
करणी कैशर कांमई, मां मोंगल मछराळ।।३१।।
अम्बा बहुचर आवड़ा, खोड़ल तूं खपराळ।।
ऐह रूप सहु आपरा, मां मोंगल मछराळ।।३२।।
दक्ष तणै यज्ञ दाझेयां, कोप्यां सति क्रोधाळ।।
उण दैवी रो अंश हो, मां मोंगल मछराळ।।३३।।
शौहरत दीजो सगती, भीरै हुय भुरजाळ।।
उकती कवियां अरपणी, मां मोंगल मछराळ।।३४।।
दीन मीठियो दाखवै, रहो मात रखवाळ।।
अरज सांभळो आपही, मां मोंगल मछराळ।।३५।।
~~मीठा मीर डभाल