माधव चरण शरण ले मूरख

माधव चरण शरण ले मूरख,
जनम मरण मिट जासी।
बावऴा क्यूं थूक विलोवै।
खऴ क्यूं जनम अकारथ खोवै।
होश गमाय बैठो है हर दिन,
गुण कद हर रा गासी।।माधव….
भटक आयो चौरासी भाया।
काट नहीं उतरियो काया।
अब तो चेत अरै उर आंधा,
पाछो कद अवसर पासी।।माधव….
मूढ मती कर थारी-म्हारी।
सांप्रत उम्र गमावै सारी।
जड़मत देख अऴूज्यो जाऴां,
रटै नाय सुखरासी।।माधव…
धीठ लिया तैं दुरगण धारी।
सीख्यो विसन सारा संसारी।
वादो वाद भूलियो वाचा,
फेर लेवै गऴ फासी।।माधव…
जाण सपन जिम गात जवानी।
अरथ दिवस छाया अभिमानी।
साची मंजल एक नह संगी,
पाल़त भ्रम पछै पछतासी।।माधव..
खामध बिनां आगै वट खड़सी।
जटा जूत जमड़ा जद जड़सी।
झड़सी गरब पलक में जिणदिन,
अकरम याद सबै जब आसी। माधव..
भोदू बांध मती गऴ भारा।
सगऴा कूड़ थोक संसारा।
गिरधरदान चेत रे गैला,
उर में रख अविनासी।।माधव..
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”