महादेव महिमा
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कविश्रेष्ठ कृपारामजी कह्यो है कै जगत में कोई पण पूजीजै वो फखत आपरै गुणां सूं पूजीजै न कै आडंबरां या तड़क-भड़क सूं।महादेव फखत राख रफड़ै अर हड़मान नै फखत सिंदूर चढै पण एक महादेव अर दूजो महावीर बाजै। बाकी आडंबरियां रै सारू ऐड़ो कोई थिर विशेषण नीं है-
ले पूजा गुण लार, नह आडंबर सूं निपट।
शिव वंदै संसार, राख लगायां राजिया।।
इणी भावां सूं अनुप्राणित हुय एक गीत महादेव रै चरणां में चढायो-
।।गीत – प्रहास साणोर।।
जय जारियो गरल़ नै जगत हित जटेसर।
नटेसर सरल़ धर रूप नामी।।
खल़ां कर रूठियां त्रिशूल़ां खयंकर।
भोल़िया भयंकर नाथ भामी।।१।।
खल़कती गंग नै जटा मे खपाई।
भंग मे हुवो मद मस्त भारी।।
क्रोध मुर लोयणां सहै कुण कोपियां।
थहै कुण रीझियां पार थारी।।२।।
भामणी तूझ घर नमो वा भवानी।
मुरड़ दल़ महीषां उरड़ मारै।।
भगत कज सगत वा केक वर भोम पर।
धिनो घर चारणां देह धारै।।३।।
तपै किवल़ास पर तिहारी तान मे।
शान सूं भूतड़ा थान सेवै।।
करै को कींकरं साद झट कान दे।
लटीधर झटीधर ओट लेवै।।४।।
फब़ै गल़माल़ मे खोखिंदर फणाल़ा।
धेधिंगर सवारी भलां धारै।।
बैठणो बाघबँर पिसाचां विचाल़ै।
महेशम रूठ नै काम मारै।।५।।
रहै नित मसाणां राख पर रीझियो।
शंकरं सेवगां सुक्ख रासी।।
मुंडां री माल़ विकराल़ गल़ मोहणी।
कियो थिर मान सूं थान कासी।।६।।
परमेसर समरियां आस सह पूरणा।
मावितर रोगहर राख माता।।
करै कवि गीधियो तिहारी कीरती।
दोख भव चूरणा मूझ दाता।।७।।
~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”