महादेव स्तुति – महाकवि सूर्यमल्ल मीसण (वंश भास्कर)

Mahadev

जय जय महेस संकर जडाल, कन्दर्ब जलंधर त्रिपुर काल।
गंगाकिरीट जय जय गिरीस, अजएक महानट अखिल ईस।।
रचनाप्ररोह जय संभु रूद्र, सिव जय अनादी करुणासमुद्र।
दुरितादिदलन जय बामदेव, दिवपट जय परिजितकामदेव।।
जय गरलकंठ विभु गहन जोग, भव भर्ग्ग भीम जय त्यक्तभोग।
लय सर्ग चरित जय उर्द्धलिंग, प्रभु जय मित्रीकृत एक पिंग।।
नुत अष्ट मूर्ति जय जय त्रिनैन, अगराज स्वसुर करबीर अैन।
पावन एकांबक एकपाद, ब्रशकेतु माहद्रग जय बिशाद।।
हेरंबजनक जय अट्टहासि, बिबुधेस महाव्रत गुण बिलासि।
जय म्रड अनंत बिध्वंस्तजाग, बिस्वांतरात्म साधित बिराग।।
मायाअतीत जय अस्थिमाल, भावक अनिच्छ जय इंदुभाल।
सिपिविष्ट कलित बिचगृह बिसेस, कल्पान्तनटन जय व्योमकेस।।
पावक हिरण्यरेता प्रसन्न, छबि सित महान अणु प्रकट छन्न।
सितिकंठ कृत्तिपट नित्यशुद्ध, पशु प्रमथ भूतपति जय प्रबुद्ध।।
धूर्जटि करोटि खट्वांग धार, हेलाजित अंधक उरगहार।
श्रीखंड परसु थिरचर सहाय, कृत रुक्म अचल केलीनिकाय।।

।।षट्पदी।।
जय महेश जोगेस निखिल अघफंद निवारक।
नित्य जरा जनि रहित तथ्य जोगी जगतारत।।
ईस फटिक अवदात भक्त भय भूरि बिभंजक।
जय सरनागत जगर बिबिध प्राकृत गुन व्यंजक।।
ईसान नीललोहित अभय चंद्रचूड नन करहु चिर।
ह्वै विकल अद्रि बिल बिच हलत स्वस्थ करहुं रहि तास सिर।।

~~महाकवि सूर्यमल्ल मीसण (वंश भास्कर)

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