ओऱंगजेब रै अत्याचारां रै खिलाफ अड़णियो महावीर नरु सौदा

राजपूती शौर्य री प्रतीक रूपनगढ री राजकुंवरी आपरै जातिय गौरव नै अखंडित राखण अर स्त्री स्वाभिमान नै मंडित करण सारू ओरंगजेब रै आतंक सूं नी डरर निशंक उणनै वरण सूं मना कर दियो। उणनै उण बगत आखै रजवाड़ां में एक मात्र आशा रो दीप दीखतो हो, बो हो उदयपुर महाराणा राजसिंह। जिण भांत रुकमणी, किसन नै संदेशो मेलर परणण खातर कैवायो उणी गत इण वीरांगना रजवट नै निकलंक राखण खातर राणै राजसिंह नै स़देशो पूगायो। एकर तो राणो ई ओरंग रै बोहरंगै पणै सूं संकियो पण उणनै पूर्वजां री गीरबैजोग परंपरा याद आई। उणां आई सोची कै एक राजपूत बाल़ा आपरै कुल़गौरव नै काट नी लगावण खातर परण सूं बत्तो मरण नै महत्व देय रैयी है तो उण नै ओछी नी तकणी चाहीजै। उणां जाय राजकुंवरी सूं ब्याव कियो। इण गीरबैजोग घटना माथै घणाई गीत है। भादरेस रै कुंभार सादूलै रै एक गीत रो एक दूहालो पेस है, जिण में कवि लिखै कै किसन तो शिशुपाल रै डर सूं रुकमणी नै कंवारी लेयर आयो पण राणो ओरंग सूं निशंक कंवरी नै चंवरी री साख सूं लायो-

ऐह अखियात हिंदू धरम ईखतां
जका आ कीर्ति संसार जाणी।
किसन रुकमण घरै ले गयो कंवारी
अमर रै कल़ोधर परण आणी।।

इण बात सूं रीसाय ओरंगजेब आपरै सेनापति रूहिल्लखां री अगवाई में उदयपुर नै लूटण अर तहस-नहस करण खातर संवत १६४० वि. में सेना मेलदी। सलाहकारां री सलाह सूं महाराणा राजसिंह सुरक्षित जागा जावणो तेवड़, तैयारी करी अर आ ई बात सैणूंदा रै सौदा, अमरैजी रै सपूत अर आपरै पोल़पात नै कैवाई। नरूजी, पाछी अरज कराई कै “आप पधार सको! पण म्है जिण पोल़ रो पात हूं! उण नै ऐड़ी अबखी बगत में सूनी कीकर छोड सकूं? जिण जगा म्है परंपरा सूं सम्मान पावतो रैयो हूं उण नै संकट वेल़ा में दुसमणां सारू खुली छोडर कीकर निकलूं। जिण पोल़ रै पात हुवण सूं म्है सम्मान सरूप घोड़ो लियो हूं उण पोल़ में जीवूं जितै अरियां नै घोडा कीकर फेरण दूं?”

महाराणा अर उणां रो लवाजमो सुरक्षित जगा गयो पण ओ वीर आपरी पोल़ री रुखाल़ी खातर अडग अर अडर अड़ियो रैयो।सेना आई। उदयपुर रै जगदीश मंदिर, बडी पोल़ अर त्रिपोल़िया रै बिचाल़ै इण वीर नरू सौदे, चारणाचार री आखड़ी मुजब राटक बजाई।मेवाड़ी आण लियां ओ वीर मर मिटियो पण हटियो नी। “सौदा सुजस” (गिरधरदान रतनू) रो दो छंद –

आयो पतसाह उदैपुर ऊपर
तण ओरंग तिणवार तठै।
इकलिंग दिवाण आपरो आसण
झट तजियो जिणवार जठै।
मरबा निज पोल़ मरट रख मांटी
निडर रोपिया पाव नरै।
सौदा परिवार सिरोमण सारै
कुल़ चारण लुल़ नमन करै।।

जगदीशर मंदर थांब पग जाडो
हेतव आडो आप हुवो।
पातव द्रढ भाव सनातन पूरै
वाट मरण री हाट बुवो।
राखी इण भांत सपूती रेणव
खाग पाण सूं माण खरै
सौदा परिवार सिरोमण सारै
कुल़ चारण लुल़ नमन करै।।

इण वीर री वीरत नै अमर राखण रा जाझा जतन करतां समकालीन कवेसरां आपरी वाणी नै सांगोपांग रूप सूं बैवण दी।
सुंदरजी मोतीसर रै एक गीत री कीं कमनीय कड़ियां-

राजड़ करी राण छल़ रूड़ा
कानो दे नीसरूं कठै।
अर धाड़ो फैरण किम आवै
(म्है) तोरण घोड़ो लियो तठै।।
उदयापुर बधियो अमरावत
किलमां सूं भाराथ कियो।
दत्त लेतो जिण ही दरवाजै
दरवाजै जिण सीस दियो।।

इणी गत इणी कवि रै एक कवित्त री छेहली ओल़्यां पढर इण महान देशभक्त री देशभक्ति माथै मोद आयां बिनां नीं रैवै-

अमरावत बात राखी अमर
दल़ बिचकर दरियाव रै।
पाड़िया नरू, पड़ियो पछै
देवल दाणैराव रै।।

महावीर नरू सौदा, महाराणा राजसिंह रै कारण आपरै बडेरां री कीरती नै अखंडित राखतो थको देश रै गौरव अर स्वधर्म री रक्षार्थ रणांगण में वीरगति वर अमरता नै प्राप्त हुयो –

बडै राण छल़ बिखै बडाल़ै
भिल़ प्रमजोत बडाल़ी भात
देवल बडै बडै उदयापुर
प्रब पामियो बडै कव पात।।
~~(अज्ञात)

ऐड़ै महावीर नै म्हारा सादर प्रणाम।जाति रा प्रणाम अर इण परंपरा नै पाल़़णियां रा प्रणाम
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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