मनवा मत कर बेड़ी बात

मनवा मत कर बेड़ी बात, बात में नाथ बिसर जासी।
नाथ बिसर जासी, हाथ सूं हेम फिसळ जासी।।टेक।।

हर सुमरण करतां हेताळू, (वो) संकट-टाळू साथ।
प्रतख एक वो ही प्रतपाळू, दीनदयाळू नाथ।।01।।
मनवा मत कर….

धीज पतीज धणी वो देसी, रीझ घणी रघुनाथ।
बिगड़ी बात स्यात में बणसी, साची कथ साख्यात।।02।।
मनवा मत कर—–

अहंकार आतां ही उर-पुर, फट टुर आवै फोट।
दुर-दुर होतां देर न लागै, हिल नीं पावै होठ ।।03।
मनवा मत कर—-

सावण रा लख लोर सुहाणा, बिसर मती बैसाख।
ए बादळ जाणा अर आणा, साथ सदीनी साख।।04।।
मनवा मत कर—-

ठावा ठाकर और ठिकाणा, जग सूं जाणा जाण।
चार दिनां चिलका चमकाणा, पोमै थूं जिण पाण।।05।।
मनवा मत कर—–

दुख रो दौर सौर पुनि सुख रो, दोऊँ थिर नह देख।
समदरसी साचो सांवरियो, प्रेमी पलकां पेख।।06।।
मनवा मत कर—–

गरब मती ‘गजराज’ गुमानी, कर मनमानी कार।
रहे न छानी एक रती भर, पानी मझ पतवार।।07।।
मनवा मत कर—-

~~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

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