माताजी का छंद – कवि जय सिंह जी सिंढायच (मंदा)
!!छन्द: अर्ध-नाराच!!
नमामी मेह नन्दिनी! नमामी विश्व वन्दिनी!!
भुजा विशाल धारणी! दयाल दास तारणी!!1!!
क्रपानिधे क्रपालकम्! दयाल बाल पालकम्!!
विशाल बिन्द भालकम्! नयन्न नैह न्हालकम्!!2!!
न जाने भेद नारदम्! सदा जपन्त शारदम्!!
नमामि भक्त वच्छलम्! अनाद विर्द उज्ज्वलम्!!3!!
नमामि सिँह वाहिनी! सदा सुमत दायिनी!!
नमो हिये निवासिनी! अज्ञान दोष नाशिनी!!4!!
अचिन्त्य रुप ईशरी! नमो अधीश विश्वरी!!
नमामि सुख्ख सागरम्! नमामि नैह आगरम्!!5!!
नमामि मात हिँगला! सरुप सर्व मँगला!!
विरध्द वैद वन्दितम्! सदाहि सर्व पुजितम्!!6!!
नमामि मात आवडा! सुता सरुप मामडा!!
सरुप सात धारणी! नमामि ब्रम्हचारणी!!7!!
विशाल शुल धारिणी! भवादि ताप हारणी!!
प्रणत आस पुरणी! चरित्त चिन्त चूरणी!!8!!
समन्द नीर सौखणी! रवी उगन्त रोकणी!!
थिरा गतीज थामणी! महा समर्थ मावडी!!9!!
जुगा अनाद जौगणी! खला दला अरोगणी!!
अधर्म ने उथापणी! थिराज धर्म थापणी!!10!!
नमामि मात कर्नला! नमामि नैह निर्मला!!
दया निधान डोकरी! दिवाण देशणौक री!!11!!
म्रदु विशाल लोचनम्! दयाल द:ख मोचनम्!!
नमामि मौह मूरती! प्रणत्त आस पूरती!!12!!
अछैह नैह धारणी! अनैक सन्त तारणी!!
ममत्व मोह मण्डितम्! नमामि वैद वन्दितम्!!13!!
नमामि ज्ञान दायनी! विवेक चित्त वाहिनी!!
नमामि शोक नाशिनी! प्रभा हिये प्रकाशिनी!!14!!
नमामि मात सायरा! चरित्त दास चायरा!!
नमो सरुप कर्नला! नमामि विर्द विम्मला!!15!!
नमामि रत्न नन्दिनी! नमामि जग्त वन्दिनी!!
धराज दैह धारणी! समस्त काज सारणी!!16!!
प्रणत्त दास पोखणी! सदा नमो सतोगुणी!!
नमामि मात चारणी! बडापणो बिचारणी!!17!!
नमामि “जै” निभावणी! पियूष नैह पावणी!!
क्रपाज तोय केवलम्! सदैव मोय सम्बलम्!!18!
~~कवि जय सिंह जी सिंढायच मंदा कृत