मत कर
दास मत बण दौर रो,तूं-
और री कीं आस मतकर।
गौर कर इतिहास गहला,
ठौर री ठकरास मत कर।।
मायतां रै माण मांही,
हाण देखै सौ हरामी।
काण कुळ री हाथ वांरै,
देण री दरखास मत कर।।
पाल री झुकती तणी भी,
काण री मरजाद राखै।
आगियां रो देख पळको,
अरक रो उपहास मत कर।।
जाण लै पहली जहन री,
कहण री ऊंताळ कांई।
सहन री अब सब्र तूटै,
बागदी बकवास मत कर।।
मौसमी मुरगा अँधेरी-
रात सूं हद हेत राखै,
भोर नै खुद जोय भोळा,
विहंग रो विस्वास मत कर।।
।। शक्तिसुत।।