म्हांनै तो अपणास चाहीजै!!

बीजी वुस्तां सूं म्हांरै की लैणो,
म्हांनै तो अपणास चाहीजै।
अंतस में हद घोर अंधारो,
दूर करण प्रकाश चाहीजै!!

दपट्योड़ी पांखड़ियां खोलण अर पसरावण,
मनड़ै नै सरसावण यूं
उनमुक्त उडण आकाश चाहीजै!!

जीवण जितरै सीवण भाई, इसड़ी जुगत सीखने यूं!
लूखी-सूकी है जिसड़ी में
सुख री सोरी सास चाहीजै!!

हीमत हिरदै पांण पिंड सूं,भाखर धोरा सह चींथण
उर में उमंग जंग नै जीतण,
खुद पर खुद विश्वास चाहीजै!!

एकलियो रैयां सूं भाई,ऊंच-नीच नीं भान पड़ैलो!
जग रा जाल़ समझवा ओ तो
जैड़ो तैड़ो बास चाहीजै!!

फूंफाड़ा करता ई आया और भल़ै खुरदाल़ी करवै
टोरण नै बल़धां आ तो
हाथां सबल़ां रास चाहीजै!!

सीधो सरल़ रैयां तो धूत हमेशा ठगता जासी!
बण थोड़ो बांको आंको डोल़
बतावण देवण नै उकरांस चाहीजै!!

मन बागां रा हरियल़ पानां झड़-झड़ देखो सह झड़िया!
स्नेह बांट कूंपल़ियां सारी
विगसण नै मधुमास चाहीजै!!

अबखी में जण-जण रो मूंडो ताक्यां की होसी?
भांगण नै भैती कर हैती
मानणियो दरखास चाहीजै!!

~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.