मिनखां सूं अब टऴिया गांव

मिनखां सूं अब टऴिया गांव।
भूतां रै संग भिऴिया गांव।।
दूध दही री नदियां बैती
दारू सूं अब कऴिया गांव।।
सल़िया सऴिया नेही होता
करै कुचरणी अऴिया गांव।।
खुद री नींद सोवता उठता।
अब तो है हांफऴिया गांव।।
डीजै री ताकड़धिंग रीझै।
जम्मो जागण गऴिया गांव।।
धीमो मुधरो जठै वायरो।
धूंवां भतूंल्यां रऴिया गांव।।
आफत मे कांधो दे जुड़ता।
अबै कचेड़्यां मिऴिया गांव।।
सीरोल़ो संसार होवतो।
थारी म्हारी खऴिया गांव।।
छानै मानै आयो जावै।
र्याण कोटड़ी जुऴिया गांव।।
हेलै रै भणकारै भेल़ा।
माइक सूं नीं चुऴिया गांव।।
भाछ करैने काम काढता।
मंगताई में डुऴिया गांव।।
कूड़ कपट रै धूड़ बगाता।
नगटाई में फऴिया गांव।।
गुनहगार रै बूंट बाल़ता।
फगडाल़ां संग पुऴिया गांव।।
लाज तणा पावां मे लंगर।
लजहीणा दे मऴिया गांव।।
राजनीति रै कादै फसिया।
नाता रिस्ता छऴिया गांव।।
बाजी बूजी फल़सो होता।
मतो मती अब ढऴिया गांव।।
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”