मुकंददास दधवाड़िया की वीरता का गीत

मुकंददासजी जोधपपुर महाराजा अभय सिंह के साथ अहमदाबाद की लड़ाई में शामिल थे और इस युध्द में वीरता प्रदर्शित करते हुये शौर्यपूर्वक वीरगति को प्राप्त हो गये थे।ये एक श्रैष्ठ कवि भी थे। वि.सं. १७८७ मे हुये इस युध्द में इनकी वीरगति पर हिम्मता ढोली बऴूंदा ने इनकी वीरता व शौर्य-प्रदर्शन पर एक गीत बनाया जो निम्न प्रकार है।
।।गीत।।
सतरै संम्वत सितियासियै,
भूप सजै दऴ भारी।
सबऴा करी अभा रै साथै,
त्रिजड़ां बंध तैयारी।।
घटा मेघ त्रंमाऴ घुरंतां,
हड़बड़ फौजां हाली।
कियो पड़ाव अतेरु कांठै,
घाव बिलंद रै घाली।।
साह बिलंद आवियो सामौ,
लड़वा सूरा लागा।
रचियो जुध्द धड़ा रा मांझी,
भिड़तां कायर भागा।।
धार खाग ऊभो दधवाड़ौ,
प्रसणां रा दऴ पाड़ै।
जुड़ियो जाण पारथ रो जेठी,
आयर अंग अखाड़ै।।
धड़चै तुरक तेग री धारां,
बैरियां हाथ बकारै।
हुआ बेहाल मुकन रै हाथां,
पड़ुवा वाऴा पुकारै।।
गोकुलहरौ रहियो रिण गाढो,
इऴ अखियात उबारी।
देसपति इम देवै देवऴ,
भूप तणौ रंग भारी।।
महाराजा अभयसिंहजी ने भी मुकंददास जी जैसे वीर की मृत्यु पर सोरठा कहा था।
।।सोरठा।।
दिल बिच ऊठै दाह, मित्र तिहारा मिलणरी।
मन तो बिन मुकनाह, दोरौ केसो दासउत।।
महाराजा अभयसिंहजी ने इनकी वीरता पर प्रसन्न होकर इनके वंशजो को गांव कूंपड़ावास स्वशासन सांसण इनायत किया था जिसमे आज उनके वंशज फल फूल रहे हैं।।
~~राजेन्द्रसिंह कविया (संतोषपुरा सीकर)