नाग अर मिनख
भूंड रो ठीकरो
क्यूं फोड़ै है मिनख नाग रै माथै
नाग इतरो नुगरो नीं होवै!
जितरो अेै ,बोलण वाळा,बता रैया है
आपरै सुगरापणै रो डूरो बैचण सारू
थांनै तो ठाह है शायद
कै
नाग री राख सकां हां निगै
बच सका हां
उणरी लपलपाट करती जीब सूं
फण फैलाय, फूंफाड़ो करण सूं पैला
कर सकां हां बचाव
क्यूूं कै
नाग नुगरो नीं होवै
बो खावण सूं पैला
करदे है सचेत
हेत विहूणो हिंवळास नीं दिखावै
फूंफाड़ो कर बोड़ै है बटको
कदास फूंफाड़ो नीं कर सकै
तो!पूंछ रै झपाटौ सूं
जावै जगार
जद ई तो
उण रै दिये घाव रो
नीं रैवै खटको
उण रै बटकै रै चबीड़ सूं
उठण वाळी पीड़
आपां बता सकां हां
काळजो उघाड़
फाड़ सकां हां बाको
हाको कर सकां हां
कै नाग डसग्यो!
अर
बो नाग!
इण हळवळ सूं
सळवळतो
मरतो लाजां
आख्यां अदीठ हो ज्यावै
अर
दीठ पड़ै है मिनख
जको नीं जाणै
कितरी जागा सूं
खावै है मिनख नै ?
उणरै खाधै री
कोई कारी नीं है
नीं है कोई पाटी पोळी
नी है कोई झाड़ो
उणरै दियोड़ो घाव
नीं भरीज सकै
मसाण पूग
हाडका खीरां में खंखेर्यां सूं पैला|
भलांई
जाझा जतन करो
उठता ई रैवै है
धपळका अंतस मे
नीं जाणै
कद अर कींकर खायग्यो
ठाह नीं लागो
मिनख री नुगराई रो
आ सोच
मन मे मोच पड़ैला ई
धुखैला धूंई काळजै मे
धूंवै सूं घमटोरीजतो रैवैला जीव|
जद – जद ई
दिखैलो डसणिसो मिनख
मिजळापणै सूं मुळकतो
लुकावतो आपरा छळ छिदर
छळ बळ रै पाण
आपनै
लोहीझांण करतो
नाग सूं ई
चैपियोड़ा सुगरापणै रा माळीपाना